मै फिर कभी
मै फिर कभी तेरी नगरी मे अगर आया
देख तुम जरा सा मुझको मुसकुरा देना
तुम धार जो बहती रहे मै शांत किनारा हूँ
है वक्त पे निर्भर जुदा करे व मिला देना
जुबां से निकले लफ्ज पर कायम रहिए
जो सही है सही उस पर कायम रहिए
जिसने जो बोया है वो वही काटता है
बस तुम अपने कर्म पर कायम रहिए