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23 Dec 2018 · 1 min read

मै फिर कभी

मै फिर कभी तेरी नगरी मे अगर आया
देख तुम जरा सा मुझको मुसकुरा देना

तुम धार जो बहती रहे मै शांत किनारा हूँ
है वक्त पे निर्भर जुदा करे व मिला देना

जुबां से निकले लफ्ज पर कायम रहिए
जो सही है सही उस पर कायम रहिए

जिसने जो बोया है वो वही काटता है
बस तुम अपने कर्म पर कायम रहिए

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