मै पैसा हूं दोस्तो मेरे रूप बने है अनेक
मै पैसा हूं दोस्तो मेरे रूप बने है अनेक।
हर स्थान में नाम बदलू रूप न मेरा एक।
मै पैसा हूं,मेरे रूप बदलते रहते है हर दम।
नेता मेरे आगे पानी भरते उनसे न हूं कम।
मंदिर में जाकर,में ही चढ़ावा बन जाता।
अगर स्कूल में जाऊं,फीस मै बन जाता।।
शादी में जो मिलता,दहेज मै ही कहलाता।
होता जब तलाक,गुजारा भत्ता कहलाता।।
लेती है जब सरकार,टैक्स मै बन जाता हूं।
अदालत जब लेती,जुर्माना मै बन जाता हूं।।
सेवा निवृत होने पर,पेंशन मै ही बन जाता हूं।
होटल में बैरा को देने पर,टिप्स मै बन जाता हूं।।
लू अगर उधार बैंक से,ऋण मै बन जाता हूं।
श्रमिक को जब मिलू,वेतन मै बन जाता हूं।।
अंडर टेबल देने पर,रिश्वत मै बन जाता हूं।
वकील जब लेता,मेहनताना बन जाता हूं।
मै तो हूं एक पर भेष अनेक बदल लेता हूं।
जगह परवर्तित होते ही रूप बदल लेता हूं।।
भले ही भगवान नही,पर उससे भी कम नही।
मुझको कोई बुरा भला कहे किसी में दम नहीं।।
देखने में छोटा लगु,पर सबसे बड़ा हूं भैया।
मेरे आगे छोटे हो जाते,चाहे बाप हो भैया।।
मै ही मनुष्य को नीचे से ऊपर ले जाता हूं।
भले ही मै किसी के साथ ऊपर न जाता हूं।।
पैसे के अनेक रूप तब भी सबको ये भाया।
करते सभी पसंद इसको ये माया कहलाया।।
गरीबी में मै लुच्चा गुंडा बेईमान कहलाता हूं।
अमीरी में परसी,परसा परशुराम कहलाता हूं।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम