Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2021 · 1 min read

मै पुरखों की बनी हुई

कविता
भारत मां की हंसी खुशी सब लाज तुम्हारे हाथों में।
चूड़ी कंगना टिकिया बिंदिया साज तुम्हारे हाथों में।
में पुरखो की_ बनी हुई_ वो शान_ नहीं लुटने दूंगा।
भारत मां के_ आंचल की_ मै आन _नहीं लुटने दूंगा।।
झूठी सांची बातों से_ अब पर्दा उठने वाला है।
भूखे नंगे चुगलों का_ वरमाला उठने वाला है।।
मै पुरखों की बनी हुई पहचान नहीं मिटने दूंगा।
मैं दे दूंगा प्राण मगर ये शान नहीं मिटने दूंगा।।
दोष ना दो तुम दुनिया को ये अमर नहीं यूं काया है।
जो भी हमसे गलत हुआ वो सब ईश्वर की माया है।।
मै लुच्चों के अरमानों का साज_ नहीं सजने दूंगा।
मै चिंगारी₹ ज्वाला हूं_ पर आग _नहीं लगने दूंगा।।
जैसा कर्म किया है “कृष्णा” बैसा ही फल पाओगे।
अपने पत्थर दिल को प्यारे मोम तरह पिघ लाओगे।।
मै पुरखों की_ बनी हुई पहचान नहीं मिटने दूंगा।
मैं दे दूंगा_ प्राण मगर _ये शान _नहीं मिटने दूंगा।।
✍️ कृष्णकांत गुर्जर

Language: Hindi
2 Likes · 369 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
■ और एक दिन ■
■ और एक दिन ■
*Author प्रणय प्रभात*
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
Er.Navaneet R Shandily
सांस
सांस
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Introduction
Introduction
Adha Deshwal
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
2402.पूर्णिका
2402.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कुछ बातें ईश्वर पर छोड़ दें
कुछ बातें ईश्वर पर छोड़ दें
Sushil chauhan
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
अनिल कुमार
पृष्ठों पर बांँध से
पृष्ठों पर बांँध से
Neelam Sharma
नींद कि नजर
नींद कि नजर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दास्ताने-इश्क़
दास्ताने-इश्क़
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
*कर्मों का लेखा रखते हैं, चित्रगुप्त महाराज (गीत)*
Ravi Prakash
मौन संवाद
मौन संवाद
Ramswaroop Dinkar
है तो है
है तो है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
आंसू
आंसू
नूरफातिमा खातून नूरी
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
तुम नि:शब्द साग़र से हो ,
Stuti tiwari
बेटियां
बेटियां
Mukesh Kumar Sonkar
ଅଦିନ ଝଡ
ଅଦିନ ଝଡ
Bidyadhar Mantry
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
पूर्वार्थ
ये बिल्कुल मेरी मां जैसी ही है
ये बिल्कुल मेरी मां जैसी ही है
Shashi kala vyas
पंख पतंगे के मिले,
पंख पतंगे के मिले,
sushil sarna
💐प्रेम कौतुक-549💐
💐प्रेम कौतुक-549💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पर्यावरण
पर्यावरण
Manu Vashistha
9. पोंथी का मद
9. पोंथी का मद
Rajeev Dutta
तुझसे रिश्ता
तुझसे रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
कुछ मुक्तक...
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
Loading...