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6 Aug 2023 · 1 min read

दास्ताने-इश्क़

उसकी चाहत में तो हम, हरगिज़ दीवाने हो गए,
हर शहर, मशहूर बस, मेरे, फ़साने हो गए।

अब जवानी में कहाँ, क़ुव्वत, तशद्दुद सह सके,
शक़्ल-ए-मर्दां, तो, सीरत से, ज़नाने हो गए।

हर सिमत चर्चा भी क्यूँ, मेरा जहाँ मेँ हो रहा,
हीर-राँझे के तो अब, क़िस्से, पुराने हो गए।

वस्ल-ए-वादा, निभाने से, रहा परहेज़ था,
उसकी जानिब से नये, हर दिन, बहाने हो गए।

बारहा, तानों से, मेरा जिगर, छलनी हो गया,
तीर यारों के, फ़क़त, मुझ पे, निशाने, हो गए।

क़ल्ब-ए-अहवाल भी, आख़िर बयां कैसे करूँ,
क्यूँ तसव्वर मेँ थे, बस, उसके, ठिकाने हो गए।

दरमियाँ तो, फ़ासलों का, सिलसिला रुकता नहीं,
गुफ़्तगू को, अब , लगे, गोया, ज़माने हो गए।

कितने ही शायर, यहाँ, “आशा”, क़सीदोँ मेँ रमे,
इश्क़-ए-लबरेज़, पर, मेरे, तराने हो गए..!

क़ुव्वत # ताक़त, strength
तशद्दुद # अत्याचार , atrocities
क़ल्ब-ए-अहवाल # दिल के हालात,state (of affairs) of heart

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 421 Views
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