Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 2 min read

मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं

विसय मैं पत्नी के प्रेम में रहता हूं ।
विधा. मुक्तक
दिनांक. १६:५:२०२४
बिन ब्याह आजाद ख्यालो में मैं उसके चक्कर. काटता हू अकेला बैठ ,मैं उसके ख्यालों में ,चाहकर भी उसकी बाट जोकता हूँ
क्योकि मैं बिन पत्नी के रहता हूँ
जेब खर्ची ना जेब में
ले उधार, खुशी उसकी सुरत पर देखता हूँ
मम्मी पापा की ऐब से
रह उदास, उदार मन से उसकी खुशी पर देखता हूँ
क्योंकि मैं बिन पत्नी के रहता हूँ
अपनो से कर मैं लड़ाई
राजकुमार बन फिरता हु
सपनों में रहकर मै कर बढ़ाई
उसकी नजर में गिरता हूँ
क्योकि मैं बिन पत्नी के रहता हूँ
फिरता हूँ पहनने का पता नही
खाने को छोड़ पहनने पता नही
मा बाप की मेहनत से खता रहा
उसकी खुशी खातिर मैं अपनो का दिल दुखा रहा
दिल तोडने मे माहिर वो मुझे अपना आइना बता रही
क्योकि मैं बिन पत्नी के रहता हूँ
बन दुखी मैं देवदास उसके ख्यालों में रहता हूँ
मां-बाप की सुन अरदास उनके सवालो का जवाब में होता हूँ
क्योकि मैं बिन पत्नी के रहता है
समय की पड़ी ऐसी मार
कि मा बाप खता कही
जिम्मेदारी से मानी ऐसी हार
जिन्दगी मेरी खता रही
फिर भी मैं बिन पत्नी के रहता हूँ

अपनो के तानो से होकर बेबस किसी सुन्दरी संग नाता रखना पड़ा
सपनों के तानों से होकर बेबस उस सुन्दरी खातिर जिम्मेदारी से नाता रखना पड़ा
क्योकि मैं अपनी पत्नी से डरता हूँ.

उसके आने से हुआ मुझे मेहनत की पहचान
रख थकान सुरत पर घर आता था
खुशी ले वो मतवाली इस मेहनत की पहचान
पानी संग चाय रख प्रेम संग निवाला खिलाती थी
तब मैं अपनी पत्नी के प्रेम में रहता था
भूल गया मैं उसके संग रहकर अपने ख्यालो के सारे घावों को
गुल गया मैं उसके प्रेम मे रहकर. अपनी मत वाली मदभरी चालो को
क्योंकि मैं अपनी पत्नी के प्रेम में रहता हूँ
पर्स में मेरे ना सही पर ख्यालों में उसकी हंसी रहती है ।
कर्ज में मेरे साथ आ रहीं, पर जवाबो में उसकी हंसी रहती है।
क्योकि मेरी पत्नी मेरे संग प्रेम से रहती है।

भरत कुमार सोलंकी

74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अनमोल मोती
अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
खोज करो तुम मन के अंदर
खोज करो तुम मन के अंदर
Buddha Prakash
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
Manisha Manjari
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
मिलना तो होगा नही अब ताउम्र
Dr Manju Saini
तुमको अहसास
तुमको अहसास
Dr fauzia Naseem shad
महात्मा गांधी ,एवम लाल बहादुर शास्त्री पर
महात्मा गांधी ,एवम लाल बहादुर शास्त्री पर
मधुसूदन गौतम
चिन्ता कब परिवार की,
चिन्ता कब परिवार की,
sushil sarna
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
अनारकली भी मिले और तख़्त भी,
अनारकली भी मिले और तख़्त भी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मित्रता चित्र देखकर नहीं
मित्रता चित्र देखकर नहीं
Sonam Puneet Dubey
*ज़िंदगी का सफर*
*ज़िंदगी का सफर*
sudhir kumar
सुबह हर दिन ही आता है,
सुबह हर दिन ही आता है,
DrLakshman Jha Parimal
सुबह -सुबह
सुबह -सुबह
Ghanshyam Poddar
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
स्वतंत्रता आन्दोलन में महिलाओं का योगदान
Dr.Pratibha Prakash
मतलबी लोग मतलबी दुनिया। तुझसे उम्मीद इतनी थी दुनिया। पास ज़र हो तो सारे अपने हैं। वरना लगती है अजनबी दुनिया। सबके रंजो आलम की बाइस है। किसको देती है यह खुशी दुनिया
मतलबी लोग मतलबी दुनिया। तुझसे उम्मीद इतनी थी दुनिया। पास ज़र हो तो सारे अपने हैं। वरना लगती है अजनबी दुनिया। सबके रंजो आलम की बाइस है। किसको देती है यह खुशी दुनिया
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Life is forgiving. Every experience, failed or successful, i
Life is forgiving. Every experience, failed or successful, i
पूर्वार्थ
जब कोई हो पानी के बिन……….
जब कोई हो पानी के बिन……….
shabina. Naaz
#सामयिक_गीत :-
#सामयिक_गीत :-
*प्रणय*
कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar
कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
तस्मात् योगी भवार्जुन
तस्मात् योगी भवार्जुन
सुनीलानंद महंत
गीत
गीत
Mahendra Narayan
दोहे- साँप
दोहे- साँप
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"YOU ARE GOOD" से शुरू हुई मोहब्बत "YOU
nagarsumit326
"दुर्गम दुर्लभ कोंटा"
Dr. Kishan tandon kranti
Trải nghiệm thế giới casino đỉnh cao với hàng ngàn trò chơi
Trải nghiệm thế giới casino đỉnh cao với hàng ngàn trò chơi
Vin88
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
‌‌भक्ति में शक्ति
‌‌भक्ति में शक्ति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
Loading...