मै कौन हूं
अपने ख्वाबों के लिए इस जहां की मोहताज नहीं मै,
खुद की बनाई सीढ़ियों पर चलने को बेकरार हूं,
शुरू से रही अपनी ही शर्तों पर जीती अाई मै,
मेहनत से तकदीर लिख उसे साकार करने वाली इंसान हूं,
खुद छापती अपने हाथों की लकीरें मै,
इसलिए खुद में ही खुश रहने वाली अलग इंसान हूं,
सिर्फ खुदा की रजा पर भरोसा अटूट रखती,
बाकी फरेबी दुनिया से मै अलग और सबसे जुदा हूं,
मतलबी दुनिया में खुद को छोड़ दूसरों की सोचती नहीं,
इसलिए अपनों की ही नज़रों में मै खुदगर्ज इंसान हूं,
चलती नहीं किसी के इशारे पर अपनी राहें बनाती मै,
इसलिए दुनिया की नज़रों में गुरूर से लबरेज़ इंसान हूं,
कीमतों से नाता नहीं हर चीज का मोल जानती हूं,
पैसों से खरीदती नहीं हर चीज में कुछ प्यार से लेना भी जानती हूं,
दुनिया की नज़रों में पागल मै आवारगी की फेहरिस्त में शामिल हूं,
पर अपनी नज़रों में उसी पागलपन से दुनिया जीतने वाली इंसान हूं