मैथिल ब्राह्मण महासभामे मैथिली वहिष्कार, संस्कृत भाषाके सम्मान !
■दिनेश यादव
मैथिली भाषा के आ कियैक रसातल दिशि धकैल रहल छैक ? ई बात आब मैथिली भाषीजन समक्ष जाहेर करबाक विषय नै रैह गेल अछि । मैथिली ककरो बपौटि नए, मुदा अई तरहे मानसिकता भेल लोक बड भेटैत छैथ । ओ मैथिलीके जन–जनसँ जोडबाक काजसँ बेसी लोक मैथिलीजनके तोड्बाक काज करैत आइब रहलाए । अमुक जातिके संस्कृति, भाषा, शैली, पहिरन आदिकै प्रचार करबाक छुट सभकियोके छैक । मुदा ‘मास पोपुलेसन’ के भाषाके बोली कैह लोक मैथिलीजनके गिजरनाई अनुचित अछि । जहाधरि मानक मैथिलीके प्रश्न अबैत अछि– त बहुतों लोक मैथिलीजनके सदखैन जिज्ञासा रहलैए जे ई मानकके निर्धारण के कयैलक ? एकर आधार र पृष्ठभूमिक किई थिकैह ? अई विषयपर मानक पक्षपाति लोकैन कुतर्क करै लागैत छैथ । ओ कहै लागैत छैथ–जे परापूर्वकालसँ प्रचलनमे आबि रहल लिखित मैथिली ग्रंथ, पुस्तक आ साहित्यकारक रचनाके सभगोटेके विशुद्ध मैथिली किंवा मानक मैथिली मानैटा पडत । अहि पर ओसभ उर्दि, उलेमा आ फतबा सेहो जारि कए दैत छैथ । एकर विरोध सब ठाम होएत आएल अछि– जाहे मंच पर विरोध होए किंवा सामाजिक संजालमे । अई विषयपर हरेक ठाम समर्थन किंवा विरोधमे एकैहटा ‘नैरेसन’ आ ‘नैरेटिभ’ देखबामें अबैत अछि । समर्थनमे ब्राह्मणवादी आ विपक्षमे ब्राह्मणेत्तर,सोलकन आदि देखल जाइछ । अईसँ मैथिली भाषी समाज एहेन तरहे ध्रुविकृत भए जाइछ जे मैथिली ठामेठाम रहै जाइछ, जातियताके विवाद उत्कर्षमे पहुँच जाइछ । एकर दोख किनका देबैन ? कि जे बजैत त छैथ मैथिली मुदा ओ अमुक जातिसँ सदखैन अछूत बनल रहैत छैथ तिनका किंवा कथित मानक जातिवालासभ एकर दोषी मानल जाएत ?
नेपालीय मैथिली भाषी क्षेत्र होए किंवा भारतीय मैथिली भाषी क्षेत्र होए– दुनू ठाम कि देखल गेल अछि जे मैथिली भाषिक अधिकारक बात आइबिते ब्राह्मणवादी (एतेह कैह दि जे ब्राह्मण समुदाय नय) मात्र कियैक संगठित भए जाएत छैथ ? कि लोक मैथिली भाषीके अईपर संगठित भए स्वरमे स्वर मिलेबाक नए चाहिं ? एकर जबाफ लोक मैथिलीजन दैत कहैत छैथ– हमर बोली, शैली, भाषिका, उपभाषा आदिके मैथिली ब्राह्मणवादीसभ अपन बुझिते नै छैथ, त हम मैथिलीके लेल कियैक बाजब किंवा लिखब ? ई एकटा यक्ष प्रश्न मैथिली भाषाके लेल वर्षौसँ ग्रास, दबिया, बर्छि, भाला लके सबदिनसँ ठाड अछि । एकर जबाब कियौ देबाक अवस्थामे नै छैथ । हँ, अहिपर विवाद निश्चित होएत आबि रहल अछि । एकर कारण लोक मैथिलीसँ दूर आ कात होएत अगल ध्रुव दिशि अपन टाँङ बढा रहल छैथ । आब एहेन अवस्था आबि गेल अछि जे अपनाके मानक मैथिली आ मैथिलीके बपौटी बुझिनिहार विद्वान लोकैनके समूह आ किछु जातिय संगठन सेहो संगठित रुपसँ मैथिली भाषाके विकल्पमे प्लान ‘बी’ आ प्लान ‘सी’ बनाके आगा बढै लागलाह अछि । एकर एकटा टटका उदाहरण काठमाण्डूमे किछू वर्षसँ आयोजन होएत आबि रहल ‘मैथिल ब्राह्मण महासभा’ के मासिक श्री सत्यनारायण पूजाके पुसक अन्तिम शनिदिनक कार्यक्रमके लेल जा सकैत अछि । मैथिली भाषापर मंडरा रहल करिया मेघके बीच मैथिली बाहेकके भाषाप्रति आकर्षण बढोनाईके एकटा अर्थपूर्ण घटना आ मैथिलीप्रतिके विकर्षणके रुपमे लेल जा सकैत अछि । ओइ कार्यक्रममे मैथिलीमे सपथ लेनिहार लोकैनके वहिष्कार कैल गेल रहैक । जी, ब्राह्मण महासभाद्वारा मैथिली भाषामे सपथ लेनिहार लोकैन के पूजामे हंकार नए दकें संस्कृत भाषामे सपथ लेनिहार सांसदके अतिथि बनाओल गेल छलैक । एकर अर्थ आ आशय सभकियोके बुझैटा पडत । मैथिल ब्राह्मण महासभा कि आब मैथिली छोडि संस्कृत दिशि अपन कदम उठा लेलक ? कि आब मैथिली नए संस्कृतमे ओसभ काज करताह ? एकर जबाफ आब आयोजक लोकैनके कि नै देब पडत ? ओना सप्तरीके एकगोट मैथिली भाषा अभियानी देवेन्द्र मिश्र एही विषयपर फेसबुक मार्फत अपन चिंता व्यक्त कयलैन–मुदा ओ अनसुना जका भँ गेल देखारमे आएल अछि । देवेन्द्रजी लिखने छैथ–
मैथिल ब्राह्मण कुलक किछु उत्कृष्ट विद्यार्थीकें सम्मानित कएनाइ बहुते प्रोत्साहनप्रद छल , मुदा मैथिली भाषापर मर्रा रहल विपत्तिक कारण आ समाधानक उपाय द’विचार मन्थन के करत आ कोन समारोहमे …? संस्कृत भाषामे सपथ लेनिहारकें समारोहमे आमन्त्रित कैल गेल , ताहिमे कोनो आपत्ति नै, मुदा विद्यापतिके नामक नामपर भेल कार्यक्रममे मैथिलीमे सपथ लेनिहार वा लेनिहारिकें नै बजेनाइके कि कारण नै बजेनाइके कि कारण भँ सकैए ? किछु नै बुझाएल ….।
मैथिलीके लोक ओहुना बभनौटि आ ब्राह्मणक भाषा कहै लागल अछि । अई गलत ‘नैरेटिभ’ के तोडबाक काज होबाक चाहि छल, मुदा काज दोहरे होबाक संकेत भेटै लागल अछि । ई एकटा चिन्ताके विषय अछि, अई विषयपर बहस जरुरी अछि । आब मानक मैथिलीसँ काज नै चलत लोकमैथिली शैली, भाषिका, बोली दिशि सेहो चिन्तन, मनन, गन्थन आ विमर्श जरुरी अछि । जौ अई तरहे प्लान बी किंवा सी दिशि आगा बढब त आब ओ दिन दूर नै जखन मैथिली इतिहासमे मात्र सीमित भँ जाएत ? ई आलेख मैथिलीप्रति चिन्ताके कारण हम लिखलौहूए । कोनो जाति, समुदाय किंवा सम्प्रदायके हमर अई आलेखसँ आहत करबाक मनुसुआ किन्नौहू नए अछि ।
काठमाण्डू (नेपाल)