Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2023 · 3 min read

मैथिल ब्राह्मण महासभामे मैथिली वहिष्कार, संस्कृत भाषाके सम्मान !

■दिनेश यादव

मैथिली भाषा के आ कियैक रसातल दिशि धकैल रहल छैक ? ई बात आब मैथिली भाषीजन समक्ष जाहेर करबाक विषय नै रैह गेल अछि । मैथिली ककरो बपौटि नए, मुदा अई तरहे मानसिकता भेल लोक बड भेटैत छैथ । ओ मैथिलीके जन–जनसँ जोडबाक काजसँ बेसी लोक मैथिलीजनके तोड्बाक काज करैत आइब रहलाए । अमुक जातिके संस्कृति, भाषा, शैली, पहिरन आदिकै प्रचार करबाक छुट सभकियोके छैक । मुदा ‘मास पोपुलेसन’ के भाषाके बोली कैह लोक मैथिलीजनके गिजरनाई अनुचित अछि । जहाधरि मानक मैथिलीके प्रश्न अबैत अछि– त बहुतों लोक मैथिलीजनके सदखैन जिज्ञासा रहलैए जे ई मानकके निर्धारण के कयैलक ? एकर आधार र पृष्ठभूमिक किई थिकैह ? अई विषयपर मानक पक्षपाति लोकैन कुतर्क करै लागैत छैथ । ओ कहै लागैत छैथ–जे परापूर्वकालसँ प्रचलनमे आबि रहल लिखित मैथिली ग्रंथ, पुस्तक आ साहित्यकारक रचनाके सभगोटेके विशुद्ध मैथिली किंवा मानक मैथिली मानैटा पडत । अहि पर ओसभ उर्दि, उलेमा आ फतबा सेहो जारि कए दैत छैथ । एकर विरोध सब ठाम होएत आएल अछि– जाहे मंच पर विरोध होए किंवा सामाजिक संजालमे । अई विषयपर हरेक ठाम समर्थन किंवा विरोधमे एकैहटा ‘नैरेसन’ आ ‘नैरेटिभ’ देखबामें अबैत अछि । समर्थनमे ब्राह्मणवादी आ विपक्षमे ब्राह्मणेत्तर,सोलकन आदि देखल जाइछ । अईसँ मैथिली भाषी समाज एहेन तरहे ध्रुविकृत भए जाइछ जे मैथिली ठामेठाम रहै जाइछ, जातियताके विवाद उत्कर्षमे पहुँच जाइछ । एकर दोख किनका देबैन ? कि जे बजैत त छैथ मैथिली मुदा ओ अमुक जातिसँ सदखैन अछूत बनल रहैत छैथ तिनका किंवा कथित मानक जातिवालासभ एकर दोषी मानल जाएत ?
नेपालीय मैथिली भाषी क्षेत्र होए किंवा भारतीय मैथिली भाषी क्षेत्र होए– दुनू ठाम कि देखल गेल अछि जे मैथिली भाषिक अधिकारक बात आइबिते ब्राह्मणवादी (एतेह कैह दि जे ब्राह्मण समुदाय नय) मात्र कियैक संगठित भए जाएत छैथ ? कि लोक मैथिली भाषीके अईपर संगठित भए स्वरमे स्वर मिलेबाक नए चाहिं ? एकर जबाफ लोक मैथिलीजन दैत कहैत छैथ– हमर बोली, शैली, भाषिका, उपभाषा आदिके मैथिली ब्राह्मणवादीसभ अपन बुझिते नै छैथ, त हम मैथिलीके लेल कियैक बाजब किंवा लिखब ? ई एकटा यक्ष प्रश्न मैथिली भाषाके लेल वर्षौसँ ग्रास, दबिया, बर्छि, भाला लके सबदिनसँ ठाड अछि । एकर जबाब कियौ देबाक अवस्थामे नै छैथ । हँ, अहिपर विवाद निश्चित होएत आबि रहल अछि । एकर कारण लोक मैथिलीसँ दूर आ कात होएत अगल ध्रुव दिशि अपन टाँङ बढा रहल छैथ । आब एहेन अवस्था आबि गेल अछि जे अपनाके मानक मैथिली आ मैथिलीके बपौटी बुझिनिहार विद्वान लोकैनके समूह आ किछु जातिय संगठन सेहो संगठित रुपसँ मैथिली भाषाके विकल्पमे प्लान ‘बी’ आ प्लान ‘सी’ बनाके आगा बढै लागलाह अछि । एकर एकटा टटका उदाहरण काठमाण्डूमे किछू वर्षसँ आयोजन होएत आबि रहल ‘मैथिल ब्राह्मण महासभा’ के मासिक श्री सत्यनारायण पूजाके पुसक अन्तिम शनिदिनक कार्यक्रमके लेल जा सकैत अछि । मैथिली भाषापर मंडरा रहल करिया मेघके बीच मैथिली बाहेकके भाषाप्रति आकर्षण बढोनाईके एकटा अर्थपूर्ण घटना आ मैथिलीप्रतिके विकर्षणके रुपमे लेल जा सकैत अछि । ओइ कार्यक्रममे मैथिलीमे सपथ लेनिहार लोकैनके वहिष्कार कैल गेल रहैक । जी, ब्राह्मण महासभाद्वारा मैथिली भाषामे सपथ लेनिहार लोकैन के पूजामे हंकार नए दकें संस्कृत भाषामे सपथ लेनिहार सांसदके अतिथि बनाओल गेल छलैक । एकर अर्थ आ आशय सभकियोके बुझैटा पडत । मैथिल ब्राह्मण महासभा कि आब मैथिली छोडि संस्कृत दिशि अपन कदम उठा लेलक ? कि आब मैथिली नए संस्कृतमे ओसभ काज करताह ? एकर जबाफ आब आयोजक लोकैनके कि नै देब पडत ? ओना सप्तरीके एकगोट मैथिली भाषा अभियानी देवेन्द्र मिश्र एही विषयपर फेसबुक मार्फत अपन चिंता व्यक्त कयलैन–मुदा ओ अनसुना जका भँ गेल देखारमे आएल अछि । देवेन्द्रजी लिखने छैथ–
मैथिल ब्राह्मण कुलक किछु उत्कृष्ट विद्यार्थीकें सम्मानित कएनाइ बहुते प्रोत्साहनप्रद छल , मुदा मैथिली भाषापर मर्रा रहल विपत्तिक कारण आ समाधानक उपाय द’विचार मन्थन के करत आ कोन समारोहमे …? संस्कृत भाषामे सपथ लेनिहारकें समारोहमे आमन्त्रित कैल गेल , ताहिमे कोनो आपत्ति नै, मुदा विद्यापतिके नामक नामपर भेल कार्यक्रममे मैथिलीमे सपथ लेनिहार वा लेनिहारिकें नै बजेनाइके कि कारण नै बजेनाइके कि कारण भँ सकैए ? किछु नै बुझाएल ….।
मैथिलीके लोक ओहुना बभनौटि आ ब्राह्मणक भाषा कहै लागल अछि । अई गलत ‘नैरेटिभ’ के तोडबाक काज होबाक चाहि छल, मुदा काज दोहरे होबाक संकेत भेटै लागल अछि । ई एकटा चिन्ताके विषय अछि, अई विषयपर बहस जरुरी अछि । आब मानक मैथिलीसँ काज नै चलत लोकमैथिली शैली, भाषिका, बोली दिशि सेहो चिन्तन, मनन, गन्थन आ विमर्श जरुरी अछि । जौ अई तरहे प्लान बी किंवा सी दिशि आगा बढब त आब ओ दिन दूर नै जखन मैथिली इतिहासमे मात्र सीमित भँ जाएत ? ई आलेख मैथिलीप्रति चिन्ताके कारण हम लिखलौहूए । कोनो जाति, समुदाय किंवा सम्प्रदायके हमर अई आलेखसँ आहत करबाक मनुसुआ किन्नौहू नए अछि ।
काठमाण्डू (नेपाल)

Language: Maithili
Tag: लेख
2 Likes · 583 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
View all
You may also like:
भज ले भजन
भज ले भजन
Ghanshyam Poddar
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
डॉक्टर रागिनी
4084.💐 *पूर्णिका* 💐
4084.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सुनाऊँ प्यार की सरग़म सुनो तो चैन आ जाए
सुनाऊँ प्यार की सरग़म सुनो तो चैन आ जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
VINOD CHAUHAN
due to some reason or  excuses we keep busy in our life but
due to some reason or excuses we keep busy in our life but
पूर्वार्थ
जिंदगी
जिंदगी
sushil sarna
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
अर्चना मुकेश मेहता
झिटकू-मिटकी
झिटकू-मिटकी
Dr. Kishan tandon kranti
कोई अवतार ना आएगा
कोई अवतार ना आएगा
Mahesh Ojha
घर पर ध्यान कैसे शुरू करें। ~ रविकेश झा
घर पर ध्यान कैसे शुरू करें। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
प्रेम हैं अनन्त उनमें
प्रेम हैं अनन्त उनमें
The_dk_poetry
र
*प्रणय*
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
Bhupendra Rawat
!..............!
!..............!
शेखर सिंह
जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्व
जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्व
DrLakshman Jha Parimal
विवाह
विवाह
Shashi Mahajan
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
TAMANNA BILASPURI
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
Anand Kumar
हंसें और हंसाएँ
हंसें और हंसाएँ
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
तुम्हें अहसास है कितना तुम्हे दिल चाहता है पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान
मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान
Anamika Tiwari 'annpurna '
शब्दों का झंझावत🙏
शब्दों का झंझावत🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
लाखों दीयों की रौशनी फैली है।
लाखों दीयों की रौशनी फैली है।
Manisha Manjari
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
हम क्यूं लिखें
हम क्यूं लिखें
Lovi Mishra
दिल से करो पुकार
दिल से करो पुकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
रुपेश कुमार
Loading...