मैथिलीक गुणगान
उठू उठू यौ मैथिल समाज
मिथिलाक देहरि पर आन भाषा दए रहल आवाज।
तंद्रा आ आलस सँ आब बितल दिन अनेक
मिथिलाक प्रति जगाउ न’ यौ अपन विवेक।
कनि सुनियौ न’ हमरो ई संवाद
चलू न’ करै छी मिथिला क’ आबाद।
हम जागल छी तैऽ अहूँ क’ जगाबै छी
हम अपन बच्चा सब संगे मैथिलिएमे बाजै छी।
जाहि सँ मिथिलाक गौरव बढै सैह अछि विधान
नव पीढ़िमे मातृभाषा मैथिलीक उदय हेतु जँ राखब ध्यान
तखने हेतइ न’ मिथिला मैथिलीक उत्थान।
संदेश सत्य अछि जूनि बुझू एकरा लाज
नहि त’ किछुए सालमे विलुप्त भए जायत माँ मैथिलीक राज।
हे युवक सब कनि दियो न’ मैथिलीक प्रति अपनों दहाड़
जाहि सँ कि गूँजि उठै कोन्टा -फरका चर-बोन घर शहर आ पहाड़।
हे यौ बनि सत्यनिष्ठ आ निर्भीक
मिथिलाक उत्थानक बनु न’ अहूँ प्रतीक।
जे कियो कए रहल छथि मैथिलीक संग अनीति
समुचित सैह हैत हुनका संग जूनि करु प्रीति।
अपन गाम आ अपन भाषाक प्रति राखब समर्पण
सैह थिक अपन सभक असली दर्पण।
ई प्रयास कखनो विफल नहि हैत
हे यौ माँ मैथिलीक गुणगान नव पीढियो गैत।।
प्रस्तुति:
पवन ठाकुर “बमबम”
गुरुग्राम
दिनांक 24/06/2021