मैं हूँ एक किसान
मैं हूँ एक किसान,
मेरे भी हैं अरमान,
मैं माटी को पूजता,
खेतों में पसीना बहाता,
धरा से निकालता सोना,
महकाता हर घर का कोना,
पर………
खाद बीज के लिए भटकता,
उचित दाम के लिए तरसता,
प्रकृति का कोप सहता,
हर कोई मुझको छलता,
सारी सारी रात में जागता,
खोकर सुकून मैं भागता,
आँखों में नींद नही आती,
बेबसी पर आँसू बहाता,
नदियाँ भी सूख चली,
खेत बनते अब गली,
हर बरस जल स्तर गिरता,
धरा का सीना छलनी होता,
।।जेपीएल।।।