मैं ही शिव हूं
मैं ही शिव हूं
मैं ही सत्य हूं
मैं ही सुंदर हूं
मैं ही आत्मज्योति स्वरूप निरंतर हूं
नित्य सदाशिव ज्योति स्वरूप
हर जीव में स्वयं प्रकाशित हूं
सुख दुख मान अपमान परे
अमीरी गरीबी न मोह हरे
सर्दी गर्मी में सदा ही हम
निर्लिप्त सदा व्यवहार करे
निराकार भी हूं साकार भी हूं
मन बुद्धि और चित से परे
कल्याण मार्ग सब जीवों का
जो आत्म ज्योति का ध्यान धरे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी