मैं सोचता हूँ उनके लिए
मैं सोचता हूँ उनके लिए,
जो नावाकिफ है खुद से,
जो डूबे हुए हैं किसी मद में,
जो खोए हुए हैं किसी दुनिया में,
जिनको यह तक मालूम नहीं,
कि मैं कौन हूँ ? मेरी हस्ती क्या है ?
मैं दुःखी होता हूँ उनके लिए,
जो गुम है अपने गम में इतने,
कि वो सोचते ही नहीं है,
कि मैं दुःखी क्यों हूँ ?
उनको यह तक होश नहीं कि,
मैंने क्यों माना है उनको अपना ?
मैं जोड़ता हूँ उनसे रिश्तें,
जिनके हृदय में मेरे लिए सम्मान नहीं,
जो संवेदनहीन है मेरी विनम्रता के प्रति,
शायद उनको अभिमान है अपनी दौलत पर,
या फिर मैं आदमी नहीं उनके काम का,
या फिर वो समझते हैं मुझको मजबूर।
मैं करता हूँ उनसे मोहब्बत,
जो मुझको बदनाम समझते हैं,
शायद मैं उनके लिए बदसूरत हूँ ,
मैं मिलता हूँ उन लोगों से,
जो कतराते हैं मुझसे मिलने से,
जो करना चाहते हैं मेरी बर्बादी,
मैं सोचता हूँ उनके लिए।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)