मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
बचपन की शरारते
जवानी में खोए होश
खोए होश के सफर की
कहानी लिखना चाहता हूँ
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
दिखावे दोस्त
दोस्ती स्वरथ की
प्यार बर्बादी का
सब ने तबाह किया
हर तबाही का हिसाब लिखना चाहता हूँ
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
मिली हर खुशी हर गम का
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक
चहरे के बदलते भाव को
मन में उमड़ती इकक्षाओ को
कलम बध्य करना चाहता हूँ
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
नीरज मिश्रा ” नीर ” बरही मध्य प्रदेश