मैं सदा चलता रहूंगा,
मैं सदा चलता रहूंगा,
नंगे पांव धूप की तपिश में,
मैं सदा जलता रहूंगा,
यूं अंधेरों में चराग की तरह,
मैं सदा पलता रहूंगा,
तुम्हारे नेह में आंसुओं की तरह,
मैं सदा निकलता रहूंगा,
तेरे दिल से अरमानों की तरह,
मैं सदा पिघलता रहूंगा,
हिम वादियों के चादर की तरह,
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”