सत्य की खोज
कभी दिखता है सत्य, तो कभी ओझल हो जाता है।
जब पुकारते है उसे, तब वह हमसे हटते जाता है।
जैसे छुपा लेता है बादल सूरज को अपने पीछे,
वैसे ही, माया छुपा लेती है सत्य को अपने पीछे।
पर सत्य हमेशा रहता सत्य ही है,
ओझल होने से या हटने से, उसका अस्तित्व मिटता नहीं है।
जैसे सूरज बादलों के पीछे भी रहता है,
वैसे ही सत्य माया के पीछे भी रहता है।
हमें बस धैर्य रखना है, और इस माया के पर्दे को हटाना है।
तभी हम सत्य को देख सकते हैं, और उसका अनुभव कर सकते हैं।
– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार