Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2017 · 1 min read

** मैं शब्द-शिल्पी हूं **

मैं शब्द-शिल्पी हूंउ शब्दो को जोड़ता हूं

मैं विध्वंसक नहीं जो दिलों को तोड़ता है /हूं

फिर भी लोग मुझे इल्ज़ाम दिये जातें हैं

मैं मोम-सा कोमल पत्थर किये जाते हैं

ना जाने क्या चाहते हैं मुझसे बेकार में

मेरा- अपना समय बर्बाद किये जाते हैं

चाहते है कौनसी मुझसे दौलत यूं ही

अपने-आप को शर्मसार किये जाते हैं

बेसुमार दौलत है मेरे पास शब्दों की

लुटाना चाहता हूं मैं शब्द -शिल्पी हूं

कहते हैं मुझको चोर और क्या-क्या

बस मेरे पास दिल एक है दूजा नहीं

कहां रख पाऊंगा दूजे दिल-ठौर नहीं

कर लो चाहे जितना दोषारोपण मुझपे

मैं कोई ओर नहीं मैं शब्द -शिल्पी हूं

बिछाकर शब्दों की बिसात यूं खेलता हूं

अपने ग़मों को शब्दों से यूं ठेलता हूं

पेलता हूं ग़मों को मार शब्दों की मार

यूं जिंदगी में मिले ग़मों को झेलता हूं

लोग कहते हैं मैं चोर हूं चित-चोर हूं

मैं शब्द-शिल्पी हूं शब्दों से खेलता हूं

बस शब्द-शिल्पी हूं यूं ही खेलता हूं ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 495 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
इस पार मैं उस पार तूँ
इस पार मैं उस पार तूँ
VINOD CHAUHAN
चुप्पियों के साए में जीते हैं हम सभी,
चुप्पियों के साए में जीते हैं हम सभी,
पूर्वार्थ
परिवार
परिवार
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
!! वो बचपन !!
!! वो बचपन !!
Akash Yadav
तनहा विचार
तनहा विचार
Yash Tanha Shayar Hu
कोई तुम्हें टूट के चाहे तो क्या कीजिए,
कोई तुम्हें टूट के चाहे तो क्या कीजिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
अन्याय के युग में जी रहे हैं हम सब,
अन्याय के युग में जी रहे हैं हम सब,
Ajit Kumar "Karn"
*साहित्यिक कर्मठता के प्रतीक स्वर्गीय श्री महेश राही*
*साहित्यिक कर्मठता के प्रतीक स्वर्गीय श्री महेश राही*
Ravi Prakash
* खूब कीजिए प्यार *
* खूब कीजिए प्यार *
surenderpal vaidya
कब आये कब खो गए,
कब आये कब खो गए,
sushil sarna
स
*प्रणय*
*ताना कंटक सा लगता है*
*ताना कंटक सा लगता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इस सफर में कहो कौन कैसा कहाँ।
इस सफर में कहो कौन कैसा कहाँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*पल  दो  पल ठहर तो सही*
*पल दो पल ठहर तो सही*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
संघर्ष
संघर्ष
विजय कुमार अग्रवाल
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
Manisha Manjari
" घर "
Dr. Kishan tandon kranti
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
Lokesh Sharma
सरसी छंद और विधाएं
सरसी छंद और विधाएं
Subhash Singhai
शिकायत करते- करते
शिकायत करते- करते
Meera Thakur
🌸मन की भाषा 🌸
🌸मन की भाषा 🌸
Mahima shukla
इश्क़ में
इश्क़ में
हिमांशु Kulshrestha
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
Shweta Soni
ख्वाब
ख्वाब
Dinesh Kumar Gangwar
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
रंग बिरंगी दुनिया होती हैं।
रंग बिरंगी दुनिया होती हैं।
Neeraj Agarwal
अहंकार और अधंकार दोनों तब बहुत गहरा हो जाता है जब प्राकृतिक
अहंकार और अधंकार दोनों तब बहुत गहरा हो जाता है जब प्राकृतिक
Rj Anand Prajapati
*सत्य ,प्रेम, करुणा,के प्रतीक अग्निपथ योद्धा,
*सत्य ,प्रेम, करुणा,के प्रतीक अग्निपथ योद्धा,
Shashi kala vyas
4703.*पूर्णिका*
4703.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...