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10 Jun 2022 · 1 min read

मैं वफ़ा हूँ अपने वादे पर

हाँ, मालूम है मुझको,
कि मैंने क्या कहा था,
दोस्तों से महफ़िल में,
अकेले में तुमसे।

हाँ, मालूम है मुझको,
कि मैंने खाई थी कसम,
की थी तुम्हारी तारीफ,
और किये थे तुमसे वादें।

हाँ, मालूम है मुझको,
कि किया था मैंने जाहिर,
तुमको खत लिखकर,
बताया था तुमको वसीयत अपनी।

हाँ, मालूम है मुझको,
अपना सब कुछ तुमको सौंपने को,
हिन्दुस्तां में तुमको अमर करने को,
चला आया था तुम्हारे शहर,
छोड़कर अपना घर और रिश्तेदारों को।

हाँ, मालूम है मुझको,
आजकल रहता हूँ तुमसे दूर,
हुआ है मुझको शक तुम पर,
क्योंकि तुमको देखा है मैंने,
मेरे दुश्मनों से मिलते हुए,
उनके साथ हंसते हुए,
और इसीलिए मुझको,
तुमसे हो गई है नफरत।

मगर क्या तोड़ पाऊंगा मैं,
तुमसे अपना रिश्ता- वास्ता,
तू जो बसी हुई है मेरे दिल में,
इसीलिए नहीं कर सकता हूँ,
तुमसे बेवफाई और दुश्मनी,
मैं वफ़ा हूँ अपने वादे पर।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 459 Views
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