मैं लोगों को नज़रों की ऐनक पहनाऊंगा
धोखे की तारीकी से बाहर ले आऊँगा।
मैं लोगों को नज़रों की ऐनक पहनाऊंगा।।
इन सफेदपोशों की फितरत धोखा है मक्कारी है।
इन सफेदपोशों की आदत रंजिश है अय्यारी है।
इन सफेदपोशों का मक़सद जग में आग लगाना है।
इन सफेदपोशों की हसरत अपने दाग छुपाना है।
मुँह पर लगे मुखौटों से वाकिफ़ करवाऊंगा।
मैं लोगों को नज़रों की ऐनक पहनाऊंगा।।
जब मिलते हैं होंठों पर मुस्कान सजाकर मिलते हैं।
हम हँसते हैं तो जाने क्यों अंदर अंदर जलते हैं।
खुद तो बेहिसाब बेईमानी की राहों पर चलते हैं।
लेकिन इनको सीधे सादे सच्चे रहबर खलते हैं।
इनके मक्खन से चूने से परे हटाऊंगा।
मैं लोगों को नज़रों की ऐनक पहनाऊँगा।।
संजय नारायण