Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2021 · 1 min read

मैं लिखती रही उसे…

मैं लिखती रही उसे जबाब न कोई आता
कई दिनों के बाद कागज कोरा आ जाता

क्या कहना चाहता था क्यों कह न पाता
भीगा कागज देख कौन समझ न जाता

हाथ में ख़त कोरा आँखों से लरजती धार
अश्क बाँचते पीड़ा मन मेरा भीगा जाता

किर्च-किर्च सब ख्वाब बिखरी थीं उम्मीदें
रूठी किस्मत मेरी आखिर कौन मनाता

छलक पड़ता गम मेरा लाँघ पलक की सीमा
जितना सहेजती उसको उतना मचला जाता

समझाते यही मुझे सब पगली दिल पे न ले
मेरी इस चिर व्यथा को कोई समझ न पाता

आज भी जब-जब मैं लौट अतीत में जाती
स्मृतियों का मधुर झोंका चौंका मुझे जाता

जब-जब मेरी नज़र से नज़रें उसकी मिलतीं
आँखों में उसकी अक्स मेरा ही नज़र आता

माना आस में उसकी भ्रमित-सी मैं जीती हूँ
जीने दो मुझे यूँ ही इसमें तुम्हारा क्या जाता

जो पीछे से आकर वह हौले से कहता ‘सीमा’
बिखरा जीवन मेरा आज सँवर फिर जाता

किस हाल में है अब वो जानूँ मैं किस विध
ओ चाँद गगन के तू ही खबर उसकी ले आता

– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)
“चाहत चकोर की” से

1 Like · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all
You may also like:
राम राम सिया राम
राम राम सिया राम
नेताम आर सी
हम आगे ही देखते हैं
हम आगे ही देखते हैं
Santosh Shrivastava
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं
सत्य कुमार प्रेमी
19. कहानी
19. कहानी
Rajeev Dutta
नहीं है पूर्णता मुझ में
नहीं है पूर्णता मुझ में
DrLakshman Jha Parimal
तुम आ जाते तो उम्मीद थी
तुम आ जाते तो उम्मीद थी
VINOD CHAUHAN
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
चलो इश्क़ जो हो गया है मुझे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
वसंत ऋतु
वसंत ऋतु
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
#आज_का_मुक्तक
#आज_का_मुक्तक
*प्रणय प्रभात*
*ऋषि नहीं वैज्ञानिक*
*ऋषि नहीं वैज्ञानिक*
Poonam Matia
होली
होली
Neelam Sharma
गृहस्थ संत श्री राम निवास अग्रवाल( आढ़ती )
गृहस्थ संत श्री राम निवास अग्रवाल( आढ़ती )
Ravi Prakash
2600.पूर्णिका
2600.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
**तीखी नजरें आर-पार कर बैठे**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
Sonam Puneet Dubey
माटी
माटी
जगदीश लववंशी
मेरा दुश्मन मेरा मन
मेरा दुश्मन मेरा मन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दरख़्त
दरख़्त
Dr. Kishan tandon kranti
" बंध खोले जाए मौसम "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
होना नहीं अधीर
होना नहीं अधीर
surenderpal vaidya
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
Satish Srijan
अंतहीन
अंतहीन
Dr. Rajeev Jain
Unrequited
Unrequited
Vedha Singh
चाह ले....
चाह ले....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"आंखों के पानी से हार जाता हूँ ll
पूर्वार्थ
व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
महाभारत का युद्ध
महाभारत का युद्ध
SURYA PRAKASH SHARMA
Loading...