मैं लाल तेरा
मैं लाल तेरा ललकार तेरा, मैं बनू कभी पहचान तेरी।
मैं तेरी आँखो का तारा, मैं तुझको सबसे हूँ प्यारा।।
मैं जिगर का तेरे टुकड़ा हूँ, मैं तेरा ही तो मुखड़ा हूँ।
मैं पास रहूँ या दूर रहूँ, पर दिल से ना मैं दूर रहूँ।।
मैं बड़ा हो गया जान गया, मैं नही सुनूंगा मान गया।
पर तू तो मेरी जननी है, तू कहदे वो बस करना है।।
मैं समझ गया तू कहती जो, मैं मान गया तू कहती जो।
तू दर्द मेरे पहचान गई, मैं जान गया मैं मान गया।।
तू दे आशीष मैं रहूं जहां, मैं देश धर्म पर डटा रहूँ।
ये बीवी बच्चे जो मेरे, यह मुझसे ज्यादा है तेरे।।
मैं अंश तेरा ये अंश मेरे, मैं एहसानमंद हूँ बीवी का।
मैं कर्ज चुकाऊंगा कैसे, मैं प्यार जताऊगा कैसे।।
ये सीख तेरी तो है दिल में, है देश मेरा सबसे पहले।
मैं देश की रक्षा की खातिर, मैं शीश काट लूं दुश्मन के।।
तू विजयश्री का वर दे बस, मैं काल से भी तो लड़जाऊं।
यह देश मेरा है बहुत बड़ा, मैं जहां रहूं खुशहाल रहूं।।
तू मन में ये ना सोच कभी, मैं गद्दार कभी ना हो सकता।
मैं खून तेरा हूँ ओ मेरी माँ, मैं कायर भी ना हो सकता।।
मैं लड़ा अगर जो दुश्मन से, तू याद रखेगी ये सुन ले तू।
तू गर्व करेगी बस मुझ पर, तू ममता अपनी बरसाना।।
तू अपने आँचल की छाया, यूँ सदा मुझीपर रखना तू।
है जननी मेरी माता तू, हर जन्म मे मुझको मिलना तू।।
मैं लाल तेरा ललकार तेरा….
——————————————————————
“ललकार भारद्वाज”