मैं रूठूं तो मनाना जानता है
1)मैं रूठूं तो मनाना जानता है
वो मुझको मुझसे ज़्यादा जानता है
2)ज़रा सी ही तो है ये ज़िन्दगानी
वो ख़ुश है जो के हॅंसना जानता है
3)मुहब्बत का है दुश्मन ये ज़माना
ये दो दिल को सताना जानता है
4)महकता गुलसिताॅं ये चाहतों का
मोअत्तर ख़्वाब बुनना जानता है
5)लिखा है क्या मुक़द्दर उस ख़ुदा ने
ये कब इंसान पढ़ना जानता है
6)छुपाओगे भला कैसे हक़ीक़त
वो रब सबका फ़साना जानता है
7)मेरे ग़म की ख़बर होगी न तुमको
मेरा दिल ग़म छिपाना जानता है
🌹’मोनिका मंतशा🌹