मैं माँ काली हूँ
देवी
महादेवी कह
न मेरा मान बढ़ाओ
नारी हूँ
शक्ति हूँ
मैं चंडी ज्वाला हूँ
हर जुल्म पर
भारी हूँ
दरिन्दों के लिए
काली हूँ
हाँ देवी
हूँ मैं
घर परिवार
के लिए
महादेवी हूँ
अपनी संतान
के लिए
करें उन्नति
रहें सदा सुखी
करती बस
कामना यही
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल