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3 Apr 2022 · 1 min read

मैं भी साथ चला करता था

मैं भी साथ चला करता था अब मेरी मजबूरी देखो
जिनके साथ रहा करता था आज उन्हीं से दूरी देखो
जिनके काम किए हैं मैने छोड़ के अपने काम सुनो
पड़ जाता है उनसे काम तो उनके काम जरूरी देखो
मेरी मेहनत रंग ना लाई या किस्मत का मारा हूं मैं
वो बन गए बड़े साहब और अपनी जी हजूरी देखो
मैंअसफल हूं सच्च है लेकिन इसमें दोष कहां है मेरा
वे खाते हैं साही पनीर और मेरी किचन अधूरी देखो
उनके रिश्ते शौहरत वालों से मैं गांव में प्रीत बढ़ाता
जाहिल हो गए लोग गांव के ये कैसी दस्तूरी देखो
मिलने को भी जाओ तो तुम सोचेंगे ये कैसे आ गया ‘विनोद’जानता सब हकीकत क्यों चेहरे बेनूरी देखो

Language: Hindi
1 Like · 150 Views
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