मैं भी साथ चला करता था
मैं भी साथ चला करता था अब मेरी मजबूरी देखो
जिनके साथ रहा करता था आज उन्हीं से दूरी देखो
जिनके काम किए हैं मैने छोड़ के अपने काम सुनो
पड़ जाता है उनसे काम तो उनके काम जरूरी देखो
मेरी मेहनत रंग ना लाई या किस्मत का मारा हूं मैं
वो बन गए बड़े साहब और अपनी जी हजूरी देखो
मैंअसफल हूं सच्च है लेकिन इसमें दोष कहां है मेरा
वे खाते हैं साही पनीर और मेरी किचन अधूरी देखो
उनके रिश्ते शौहरत वालों से मैं गांव में प्रीत बढ़ाता
जाहिल हो गए लोग गांव के ये कैसी दस्तूरी देखो
मिलने को भी जाओ तो तुम सोचेंगे ये कैसे आ गया ‘विनोद’जानता सब हकीकत क्यों चेहरे बेनूरी देखो