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2 Apr 2019 · 2 min read

मैं भी कितना मूर्ख हूँ?

भारत मेरा, आपका और हम सबका देश
आइए एक साथ मिलकर जय हिन्द कहते हैं
ऐसा करने से देशभक्ति की भावना को बल मिलता है
और हम सच्चे देशभक्त हैं ऐसा सुखद अनुभव होता है।
आप जानते हैं हमारा भारत तीज,त्यौहार, मेलों और पर्वों का देश है
और साथ ही दिवसों का भी
उसी में से एक मूर्ख दिवस या अप्रैल फूल
वैसे तो अप्रैल में जंगल में बहुत से फूल मिलते हैं
मगर ऐसे फूल जो नगर में, शहर में, कस्बों में केवल अप्रैल में ही नहीं वर्ष भर मिलते हैं।
उनमें से एक मैं भी सबसे पहले
आप सोच रहे होंगे कि मैं भी अप्रैल फूल मना रहा हूँ
लेकिन मैं फूल(मूर्ख)को भला कैसे फूल(मूर्ख)बना सकता हूँ
हाँ,ये बात अलग है कि आपको फूलों की माला जरूर पहना सकता हूँ।
मेरा भारत मूर्खों का देश और मैं सबसे बड़ा मूर्ख
मुझे तो लगता है इसका नाम बदलकर मूर्खिस्तान रख देना चाहिए
इससे गधों का समर्थन लोकतंत्र में सहायक होगा
और सरकार बहुमत में आ सकती है।
जनता मूर्खों को चुनती है या
चुने हुए जनता को मूर्ख समझते हैं
ये बात बिल्कुल
नारी विच सारी है कि सारी विच नारी है जैसी है
चलिए कोई बात नहीं
देश चल रहा है
काम चलना चाहिए बस।
या हो सकता है चुने हुए चुनिंदा मूर्ख जनता को मूर्ख बनाते हो
कोई किसी को भी बनाये हमको तो कोई भी नहीं बना सकता।
यही गलत धारणा हमारे अंदर पल रही है
और यही बात सबको खल रही है।
साल भर अप्रैल फूल का कार्यक्रम चलता है
और पांच वर्षों के बाद फिर मूर्खों का चुनाव आ जाता है
मूर्खों के लिए, मूर्खों के द्वारा मूर्खों के प्रतिनिधि।
ऐसी परम्परा दसकों से स्वतंत्रता से चली आ रही है।
इसमें नया क्या है?
यहाँ कौन किसको मूर्ख बना रहा है पता ही नहीं चलता
सब कोई एक दूसरे पर मूर्ख होने का आरोप लगाते हैं
न्यायालय भी अंधा होने के कारण वास्तविक मूर्ख को नहीं पहचान पाता है।
भारत में मूर्खता के ऐसे अभियान चलाये जाते हैं
जिसमें सही मूर्खों को पकड़ कर इस अभियान का अंग बनाया जाता है।
भारत में मूर्खता की कई योजना बनायी गई है
लेकिन मूर्खों के कारण मूर्खता योजना असफल हो जाती है
नयी सरकार, नयी योजना, नये मूर्ख, नये गधे, नया तरीका
कुल मिलाकर ये सब प्रयास मूर्खों में मूर्खों का योग बराबर
आप समझ सकते हैं
ऐसे वार्षिक उत्सव के होते हुए भी लोग अप्रैल फूल के लिए समय निकाल लेते हैं
महान है मेरा देश
जय हो
मैं भी अपनी बात कहाँ कह रहा हूँ?
मैं भी मूर्ख हूँ
आप ने मुझे सुना या पढ़ा हो तो
क्षमा करें
मैं भूल गया था
आप तो बिल्कुल भी मूर्ख नहीं हैं
चलो अच्छा है
धन्यवाद

पूर्णतः मौलिक स्वरचित लेख
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 440 Views
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