मैं भारत माता हूँ
“मैं भारत माता हूँ !”
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पहचाना मुझे ?
नहीं ना !!
पहचानोगे भी कैसे ?
तिरंगा तो नहीं है हाथ में…
शेर पर भी सवार नहीं हूँ !
मुकुट भी नहीं है माथे पर !!
तुम्हारी कोई गलती नहीं है !!!
कलयुग जो चल रहा है……
कौन देता है आजकल ध्यान ?
अपनी जननी पर………..
चलिए मैं ही बताती हूँ !
कि मैं कौन हूँ ?
तो सुनो !
मैं भारत माता हूँ !
तुम सबकी जननी
तुम्हारी देवकी !
तुम्हारी यशोदा !
क्या खून नहीं खौलता तुम्हारा ?
जब मेरे कश्मीर रूपी बालों को
नोचा जाता है !!!
पाकिस्तानियों द्वारा…………..
तोड़ते हैं मेरे कानों की बालियाँ
जब घुसपैठिये…………………
छीनता है मेरे हाथों से
अक्साईचिन रूपी पर्स
वो ड्रेगन………………
घेर रहा है चारों और से
मुझे और तुम्हें……….
समुद्री राहों से !!
बस !!
यही चिंता खाये जाती है
कि क्या होगा मेरा ?
ग़र यों ही अपने-अपने
निज स्वार्थों में……….
तल्लीन रहोगे तुम !!
ये सोचकर……….
आँखें पथरा जाती हैं मेरी !
आह निकल आती है !
लेकिन फिर भी
यकीन ही नहीं
पूर्ण विश्वास है…….
कि जागोगे तुम भी !
क्यों कि ?
मेरी सौंधी मिट्टी में……….
संस्कार हैं !
संस्कृति है !
सभ्यता है !
मानवता है !
और वो सब है…..
जो तुम्हें चाहिए
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–डॉ०प्रदीप कुमार दीप