मैं भारत का जवान हूं…
ऐ वीर ! आखिर तुझ पर क्या ही लिखूं
तुम्हारा जीवन इन चंद शब्दों में कैसे समेटू
जो ठंडी , गर्मी , धूप , छांव को ना समझता
बस हमारी हिफाजत को ही सदा धर्म मानता
जो अपने दुखों को सतत् ही हंसकर छुपाता
वो फौजी ही होते यार जिन्हें न मौत का भय,
न ही सीने में गोली खाने का भय ! पर जब
याद घर की आती तो नैना नम हो ही जाती ।
वो कौन ही होता जो चंद सी रकम के लिए ही
अपनी आभूति देने के लिए सदा तत्पर रहता
बात यहां रकम की न है, बात देश भक्ति की है
जो सीने में गोली खाने के पश्चात भी मुस्कुराते है
आज उन्हीं की शहादत से हमसब सुरक्षित रहते
फिर भी नहीं मिलती उन्हें आबरू उतना क्यों ?
क्या उनके इस बलिदान की कोई कीमत नहीं होती
उन्हीं की बदौलत तो आज हम चैन का नींद ले रहे।
जो कड़कती ठंड, बर्फ में भी बंदूके तान खड़े रहते
बड़े दिन हो गए मां , बाबा को दर्शन किए हुए
मेरी मां चिंता कर कर बूढ़ी होने चली, मैं क्या ही करूं
यहां मुल्क की हिफाजत में, अपनी जवानी गंवा रहा
आखरी सांस जब तक चलेगी तिरंगे को झुकने न दूंगा
गोली खाके हस के वतन से ख़ुशी ख़ुशी शान से जाऊंगा
मुझे केंडल जला के भूल न जाना, मैं भारत का जवान हूं
मैं निज जवानी वतन के नाम किया , मैं भारत का जवान हूं ।
कवि :- अमरेश कुमार वर्मा
पता:- बेगूसराय, बिहार