मैं बेचारी
मैं बेचारी
हे कृष्ण ! तुम्हारी ।
मैं मीरा
तेरे दरस की प्यासी ।.
हे गिरधर !
हे नागर! कान्हा !
हे मेरे मनभावन कान्हा । ..
प्रेम भाव से तुम्हे बुलाऊँ
माखन मिश्री तुम्हे खिलाऊँ ।..
हे गोकुल घट, वन – वन वासी
दरसन दे दो , मैं अभिलाषी ।
मेरे घनश्याम
मैं तुझपर वारी ।..
तकती अखियाँ
राह तुम्हारी ।…
मैं बेचारी
हे कृष्ण ! तुम्हारी । ….
निहारिका सिंह