मैं पापी प्रभु उर अज्ञानी
मैं पापी प्रभु उर अज्ञानी
आप दया निधि अंतर्यामी
मैं हूं प्रभु जीवन से हारा
मुझको दे दो आप सहारा
रिश्ते नातों का मर्म न जाना
पाप पुण्य को न पहचाना
मैं हूं प्रभु जी नीच सुभाऊ
पद कमलों में शीश झुकाऊं
वेदों की गाथा पुराणों की वाणी
गुरुवर महिमा सबने बखानी
जग में नही अब अपना कोई
बिनु हरि कृपा विवेक न होई
कर्म जगत में चोखे करले
राम नाम सुमिरन मन करले
पापी तन भवसागर तर ले
“कृष्णा” खाली झोली भरले