मैं नेता हूँ
मेरी एक रचना मौजूदा चुनावों एंव मौजूदा नेताओं को सोचते हुए
आपका भी बिचार चाहूंगा
मैं नेता हूं जातिवाद का पाठ सिखाने आया हूँ |
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे काे आंख दिखाने आया हूँ ||
जातिवाद का नीव उठाकर तुम्हें अलग कर जायेंगे |
तुम्हें लडाकर नेता बन के हम अमीर बन जाएंगे||
हम नेता हैं तुम्हें लडाकर बैठ तमासा देखेंगे
मेरे हार का हो सवाल तो शस्त्र धर्म का फेकेंगे
हम नेता हैं हम लोगों की अपनी अपनी चालें हैं
एक डाल कट जाये तो क्या यहां बहुत सी डाले हैं
अभिषेक पान्डेय उज्ज्वल