मैं निर्भया हूं, निर्भय होकर वार करुंगी!!
मैं बेटी हूं भारत मां की,
मुझे जाति-धर्म में ना बांटो तुम,
मैं जननी बन कर,
जन्म देती हूं,
मुझे खांचों में ना बांधों तुम!
मैं ही मां हूं,
बहन भी मैं हूं,
मैं ही बेटी बन कर आती हूं,
क्यों मुझमें तुम भेद हो करते,
मैं ही तो हर रंग में समाई हूं!
मुझसे ही तुम कन्या पूजन करवाते,
मेरे ही हाथों से राखी बंधवाते,
मेरे संग ही डोली सजवाते,
मुझसे ही तुम संतति को पाते,
मुझमें ही तुम माता की ममता को आते,
तो फिर क्यों मुझको इस तरह तड़पाते,
आते-जाते घूरते जाते,
हम इससे अपने को असुरक्षित हैं पाते!
तो सुन लो अब हमारी बात,
इस कदर ना छेड़ो हमारे जज्बात,
बहुत सह लिया हमने यह रक्त पात,
अब हम इसका प्रतिकार करेंगे,
ऐसे जुल्मियों पर प्रतिघात करेंगे,
अब तक हमको अबला है माना,
पर अब हमने निर्भया बनना है ठाना,
निर्भय होकर वार करेंगी,
अब हम चंडी का रूप धरेंगी,
ना अब सहेंगी,
ना अब यूं ही मरेंगी,
मार-पीट कर सीधा करेंगी।