मैं नहीं बुलाऊंगी तुम को जाना
मैं नहीं बुलाऊंगी तुमको जाना
मगर तुम बहाने से ही आ जाना
हम दोनों के दरमियाँ जो गिरे लम्हें
उन्हें पलकों पे ही उठा के ले जाना
तुम आना तो वक़्त की दीवार बनी
दो घड़ियों को चुपके से कहीं दफना आना
खारे पानी के गंगा जमुना में
अंजुली भर अपना स्नेह मिला जाना
मैं नहीं बुलाऊंगी तुम को जाना
तुम चुपके से मगर तुम आ जाना
~ सिद्धार्थ