मैं दास तुम्हारे चरणों का
मैं दास तुम्हारे चरणों का, कुछ दया तो मुझपे कर देना।
मैं भूखा हूँ बस भावो का, कुछ महर तो मुझपे कर देना।।
मैं प्यार मांगता हूँ तुमसे, बस प्यार तो मुझको कर देना।
मैं दया का तेरी अभिलाषी, बस अभिलाषा पूरी कर देना।।
ना सोना चाँदी मैं मांगू, पर सुखचेन तो मुझको दे देना।
ना हीरे मोती मैं मांगू, पर मुस्कान तो मुझको दे देना।।
ना चाहत है कुछ बनने की, बस सब इच्छा पूरी कर देना।
ना धन दौलत ही मैं मागूं, बस गुणवान मुझे तुम कर देना।।
मैं चाहूं तुमको मीरा सा, तुम गिरधर मेरी बन जाना।
मैं भक्त तुम्हारा सबरी सा, तुम रघुनंदन बनकर आ जाना।।
मैं राधा जैसे प्यार करूं, तुम कान्हा मेरी बन जाना।
मैं चाहूं जैसे मारुती, तुम राम नाम जपवा जाना।।
मैं बना अहिल्या पत्थर की, तुम मुझको छूकर बस जाना।
मैं कृष्णे जैसी प्यारी हूँ, तुम रक्षक मेरे बन जाना।।
मैं सिर्फ भरोसे तेरे हूँ, तुम मेरे भगवन बन जाना।
मैं मांगू ना कुछ भी तुमसे, तुम सब कुछ मुझको दे जाना।।
मैं दास तुम्हारे चरणों का…
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“ललकार भारद्वाज”