मैं तो मन से अपना काम करूंगा !
मैं तो मन से अपना काम करूंगा !
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मैं तो मन से अपना काम करूंगा !
भले नापसंदगी किसी की रहती हो !
मैं तो अब से किसी की राह तकूंगा !
भले ही सूरज शाम की ढलती हो !!
नियमों के तहत मुझसे जो भी बनेगा !
वो सारे काम तो मैं अवश्य ही करूंगा !
भले कुछ लोगों के इच्छानुकूल ये ना हो ,
पर औरों के हितार्थ मैं सबकुछ करूंगा !!
लोग तपती गर्मी की उमस से परेशान हैं !
तो ठिठुरते मौसम में भी वे बड़े हैरान हैं !
उनकी इस परेशानी का कारण क्या है….
पता नहीं कैसे – कैसे उनके अरमान हैं !!
आप औरों से यूॅं ही परेशान ना हों कभी ,
व फ़िज़ूल की बातों पे ध्यान ना दें कभी ,
बस खुद पे ही ध्यान संकेंद्रित करें सभी ,
तो उन सबकी भी तरक्की होगी जल्द ही !!
आपसी वैमनस्यता क्षय का कारण होता !
जो वास्तविक स्थिति से भी नीचे गिरा देता !
पर, जीवन में जो सदा अग्रतर ही सोचता….
वो कभी पतन की ओर नहीं बढ़ सकता !!
औरों की खुशियों में उतना क्रोधित ना हों ,
खुद की खुशी में उतना उत्तेजित भी ना हों !
गर दोनों में अच्छे से संतुलन बनाया जाय ,
तो जीवन में ग़मों से कभी दर्शन भी ना हों !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 22-08-2021.
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