मैं तुम्हें
मैं तुम्हें
उस अंत तक
अपनी स्मृतियों में
अक्षुण्ण रखना चाहूँगा
एक आस के साथ
एक नए आयाम में
एक नूतन आरम्भ के साथ
हिमांशु Kulshrestha
मैं तुम्हें
उस अंत तक
अपनी स्मृतियों में
अक्षुण्ण रखना चाहूँगा
एक आस के साथ
एक नए आयाम में
एक नूतन आरम्भ के साथ
हिमांशु Kulshrestha