Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Sep 2021 · 1 min read

“मैं तुम्हें फिर मिलूँगी”

कब ,कहाँ और कैसे,
पता नहीं…??
किसी शाम,दरिया किनारे
शान्त,शीतल,निर्मल जल में
पैर डाले घुटनों तक
खुद की परछाई से
बात करती
या तुम्हारे पुराने तैरते उन्हीं
अक्स को आज भी
उसी पानी में मछली सी पकड़ती
पता नहीं…?

या खुले आसमाँ वाले
छत के
किसी कोने में उदास बैठी
सितारों से भरी
पूनमी चांद को निहारती
दूधिया रातों में क्षारीय अश्क़ो
को आंचल के दोंने में भरकर पीती
पता नहीं ….?

जेठ दुपहरी में
शर्म से दहकते
किसी गुलमोहर की छाँव तले।
रोपती तेरी
यादो की पुऱवाइयाँ
और तुम्हारे इन्तजार में गाते
पत्तों और टहनियों के
मंगल गीत वाले
उस पीपल चौरा पर
अर्घ्य चढ़ा करती हुई तुम्हारे ही
जीवन की मंगल कामना
पता नहीं…..?

या फिर
रिमझिम बारिश में भीगती
किसी रात
मदहोश कर देने वाली
रातरानी की महक से सराबोर
खिलती कलियों के आगोश में
सिमटती ,
पता नहीं ….. ?

किसी मन्दिर की सीढ़ी पर
घन्टी बजा
ड्योढ़ी पर माथ नवा कर
ईश्वर से आशीष में सिर्फ तुम्हें मांगती
या फिर किसी दरगाह पर
मन्नत के धागे में तुम्हारा दिया
अपना वो कुवाँरा इश्क़ बांधती
और दुआ की ताबीज से
दिल के जख्मों को सहलाती

“मैं तुम्हें फिर मिलूँगी”
कब कहाँ और कैसे …..
पता नहीं…….????

किरण मिश्रा “स्वयंसिद्धा”
नोयडा

Language: Hindi
6 Likes · 7 Comments · 484 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
संतान
संतान
manorath maharaj
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
पहले जो मेरा यार था वो अब नहीं रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
भालू,बंदर,घोड़ा,तोता,रोने वाली गुड़िया
भालू,बंदर,घोड़ा,तोता,रोने वाली गुड़िया
Shweta Soni
तुम्हे देख कर ही ऐसा महसूस होता है
तुम्हे देख कर ही ऐसा महसूस होता है
Ranjeet kumar patre
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
Ajit Kumar "Karn"
3030.*पूर्णिका*
3030.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ताउम्र जलता रहा मैं तिरे वफ़ाओं के चराग़ में,
ताउम्र जलता रहा मैं तिरे वफ़ाओं के चराग़ में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
122 122 122 12
122 122 122 12
SZUBAIR KHAN KHAN
मंजिल-ए-मोहब्बत
मंजिल-ए-मोहब्बत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
*निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा*-लोरी
*निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा*-लोरी
Poonam Matia
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
Sonam Puneet Dubey
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भरे मन भाव अति पावन, करूँ मैं वंदना शिव की।
भरे मन भाव अति पावन, करूँ मैं वंदना शिव की।
डॉ.सीमा अग्रवाल
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
sushil sarna
अन्तर्मन की विषम वेदना
अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
"होली है आई रे"
Rahul Singh
*युगपुरुष महाराजा अग्रसेन*
*युगपुरुष महाराजा अग्रसेन*
Ravi Prakash
अंतर्मन विवशता के भवर में है फसा
अंतर्मन विवशता के भवर में है फसा
सुरेश ठकरेले "हीरा तनुज"
" तुम "
Dr. Kishan tandon kranti
We meet some people at a stage of life when we're lost or in
We meet some people at a stage of life when we're lost or in
पूर्वार्थ
थोड़ा विश्राम चाहता हू,
थोड़ा विश्राम चाहता हू,
Umender kumar
गमले में पेंड़
गमले में पेंड़
Mohan Pandey
बेघर एक
बेघर एक "परिंदा" है..!
पंकज परिंदा
..
..
*प्रणय*
वर्तमान का सोशल मीडिया अच्छे अच्छे लोगो को बाजारू बना दिया ह
वर्तमान का सोशल मीडिया अच्छे अच्छे लोगो को बाजारू बना दिया ह
Rj Anand Prajapati
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
Ritu Verma
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
Loading...