मैं तुम्हारी हूँ चिरैया….
?करुण गीतिका?
मैं तुम्हारी हूँ चिरैया, नेह मुझपे वारना!
गर्भ में मैं पल रही हूँ, माँ मुझे मत मारना!
जन्म जब पाऊँ धरा पे, नाम ऊँचा मैं करूँ!
गर्व तुमको मात होगा, मान कुल का जब धरूँ!
पूछती इक प्रश्न तुमसे, माँ कभी बनती नहीं।
यदि तुम्हें भी मार नानी, अरु कभी जनती नहीं।
जो किया अहसान उसको, शीश पर अब धार लो!
गर्भ में मुझको जगह दो, जिंदगी उपहार दो।
अनन्या “श्री”