मैं तुम्हारा नहीं
मैं तुम्हारा नहीं, ना ही तुम में खोया
चाहते हुए भी मैं तुम्हारा नहीं
दुपहरी में जलते दिए की तरह
समंदर में बर्फ के एक टुकड़े की तरह
खो सा जाता हूँ मैं, पर मैं तुम्हारा नहीं
तुम मुझे चाहती थी, अब भी चाहती हो
एक शांत और सुंदर एहसास की तरह
और मैं अँधेरे में खोया हूँ अँधेरे की तरह
मुझे अपने आगोश में ले लो
अपने प्यार से रंग दो मुझे
अपनी खुशबू में भीगा दो
क्योंकि हो ना पाऊंगा किसी और का
जो मैं हो पाया तुम्हारा नहीं
–प्रतीक