मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा
जिस तरह अपने मुक़र्रर वक़्त से पीछे
चल रही ट्रैन का इंतज़ार
स्टेशन मास्टर करता है;
जैसे बा-उम्मीद एक भूखा मिस्कीन
ज़ीस्त के करवट बदलने का इंतज़ार करता है;
जैसे मौसम-ए-बहार का इंतज़ार करते हैं
खिज़ा के मारे हुए सूखे बेज़ार शज़र;
जैसे दिन भर के स्कूल के बाद
बच्चें छुट्टी की घंटी का इंतज़ार करते हैं,
हू-ब-हू उसी तरह से
मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।
-जॉनी अहमद क़ैस