Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2017 · 2 min read

“मैं जो खाऊ तुम्हे क्या!” (मांसाहार पर दो टूक /- भाग 2)

कल जब मेट्रो से जा रहा था, तीन संभ्रांत परिवार की लड़कियों को बात करते हुए सुना। एक कह रही थी, “मैंने सूअर टेस्ट किया हैं। खाने में बहुत अच्छा था।” बाकी दोनों उसका मुँह ताकने लगी; कहीं बाकि लोगो से सुन लिया तो क्या सोचेंगे। इस पर पहली लड़की ने अपना बचाव करते हुए कहा “हां मै कटते हुए जानवर को नही देख सकती , पर खा जरूर लेती हूँ हा हा हाहा……”।

मैं सोचता रहा .. क्या जानवरों की औकात सिर्फ इतनी सी हैं कि कोई भी, कभी भी उन्हें काटे और खा जाये। क्या उनकी जान की कोई कीमत नही हैं? सोच कर मन ख़राब हो गया। लड़कियों पर थोड़ा गुस्सा भी आया। फिर एकाएक खुद को बेवकूफ समझने लगा। एक आम बोलचाल की बात मन में कौंध गयी ‘ मैं कुछ भी खाऊ तुम्हे क्या!’

कभी कोशिश करिये और अपने बेटे या बेटी का कोई भी अंग या उसका छोटा सा टुकड़ा काटिये और खाइये। उसका टेस्ट भी बताइये जनाब! अरे! आप तो भड़क उठे! क्या करे बात ही भड़कने की है। पर अफ़सोस .. आप की तरह ये बेचारे मूक और भोले जानवर नही भड़क सकते, अगर भड़केंगे भी तो आप जैसे वहशियों के सामने भला इनकी क्या बिसात? उस दर्द को महसुस करना बड़ा ही मुश्किल है साहब। आप है कि बस स्वाद के लिए खाये जाते हों .. खाये जाते है.. मुझे तो लगता हैं उस मांस में अगर कोई इंसान के मांस का टुकड़ा भी डाल जाये तो आप खा जायेंगे। अजी आपको क्या पता किसका मांस हैं?

आदिवासियों और असभ्य लोगो के भोजन को आपने अब तक भी अपनाया हुआ हैं। संसार में कुछ लोगो के पास कोई विकल्प नहीँ हैं। नितांत मज़बूरी में मांसाहार उनका प्रिय भोजन बन चुका हैं। पर ऐसे लोगो के बारे में क्या कहे जिन्हें भगवान् ने ढेरों साग सब्जियां, फल, दूध और ऐसी ही अन्य शक्तिशाली और स्वादिष्ट चीज़े उपलब्ध करा रखी हैं ।

वास्तव में वे लोग बेहद स्वार्थी हैं। जो मात्र अपने जीभ के स्वाद के लिए बेजुबान जानवरों को अपना निवाला बनाते हैं। समय रहते हमें इस पर विचार करना चाहिए। मांसाहार का त्याग आज और अभी से करना चाहिए। दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

-© नीरज चौहान
स्वतंत्र विचार

Language: Hindi
Tag: लेख
349 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"ये कैसा दस्तूर?"
Dr. Kishan tandon kranti
अश्रुऔ की धारा बह रही
अश्रुऔ की धारा बह रही
Harminder Kaur
हर तीखे मोड़ पर मन में एक सुगबुगाहट सी होती है। न जाने क्यों
हर तीखे मोड़ पर मन में एक सुगबुगाहट सी होती है। न जाने क्यों
Guru Mishra
आंखे, बाते, जुल्फे, मुस्कुराहटे एक साथ में ही वार कर रही हो।
आंखे, बाते, जुल्फे, मुस्कुराहटे एक साथ में ही वार कर रही हो।
Vishal babu (vishu)
राजा जनक के समाजवाद।
राजा जनक के समाजवाद।
Acharya Rama Nand Mandal
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
*Author प्रणय प्रभात*
ନୀରବତାର ବାର୍ତ୍ତା
ନୀରବତାର ବାର୍ତ୍ତା
Bidyadhar Mantry
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
डॉ० रोहित कौशिक
नहीं है प्रेम जीवन में
नहीं है प्रेम जीवन में
आनंद प्रवीण
मेरी एक सहेली है
मेरी एक सहेली है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
कवि रमेशराज
संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध
संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध
Shashi Dhar Kumar
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
*राज दिल के वो हम से छिपाते रहे*
*राज दिल के वो हम से छिपाते रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नागिन
नागिन
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
ये चांद सा महबूब और,
ये चांद सा महबूब और,
शेखर सिंह
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
says wrong to wrong
says wrong to wrong
Satish Srijan
जिंदगी का सवेरा
जिंदगी का सवेरा
Dr. Man Mohan Krishna
कुछ नमी अपने साथ लाता है
कुछ नमी अपने साथ लाता है
Dr fauzia Naseem shad
*┄┅════❁ 卐ॐ卐 ❁════┅┄​*
*┄┅════❁ 卐ॐ卐 ❁════┅┄​*
Satyaveer vaishnav
2. काश कभी ऐसा हो पाता
2. काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
****बसंत आया****
****बसंत आया****
Kavita Chouhan
*सीधेपन से आजकल, दुनिया कहीं चलती नहीं (हिंदी गजल/गीतिका)*
*सीधेपन से आजकल, दुनिया कहीं चलती नहीं (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
मैं तो महज शमशान हूँ
मैं तो महज शमशान हूँ
VINOD CHAUHAN
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
अच्छी लगती धर्मगंदी/धर्मगंधी पंक्ति : ’
Dr MusafiR BaithA
2236.
2236.
Dr.Khedu Bharti
एक युवक की हत्या से फ़्रांस क्रांति में उलझ गया ,
एक युवक की हत्या से फ़्रांस क्रांति में उलझ गया ,
DrLakshman Jha Parimal
शातिरपने की गुत्थियां
शातिरपने की गुत्थियां
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...