मैं जा रहा हूँ………
आज मैं जा रहा हूॅ
कुछ तुम्हारी हसीं
कुछ अपने आसूॅ समेटकर
सागर से दूर ।
हैं आज भी प्यासे अधर
गुजारे जबकि लम्हे बहुत, साथ तेरे
और
दिल से निकले लब्ज कुछ
आ रुके हैं लबो पर आज।
आज मैं जा रहा हूॅ………..
आज मैं जा रहा हूॅ
कुछ तुम्हारी हसीं
कुछ अपने आसूॅ समेटकर
सागर से दूर ।
हैं आज भी प्यासे अधर
गुजारे जबकि लम्हे बहुत, साथ तेरे
और
दिल से निकले लब्ज कुछ
आ रुके हैं लबो पर आज।
आज मैं जा रहा हूॅ………..