मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
तूझे अपनी ज़िंदगी में।
और उम्र खाक हो गई,
ऐ खुदा! एक तुम्हारी ही बंदगी में।
-लक्ष्मी सिंह
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
तूझे अपनी ज़िंदगी में।
और उम्र खाक हो गई,
ऐ खुदा! एक तुम्हारी ही बंदगी में।
-लक्ष्मी सिंह