मैं चल पड़ा हूं कहीं.. एकांत की तलाश में…!!
आंखों में.. ना है वफा,
होश में.. ना अब रहा,
ना क्रोध.. ना प्रतिशोध है,
ना है दुआ में अब असर,
जिंदगी हवा के झोंके की तरह बह चली है अब कहीं..
ना राह कोई.. ना मंजिलें,
ना मैं मेरा.. ना उम्मीदें,
ना ख्वाहिशें..ना नुमाइशें..
ना दिल्लगी..ना बंदगी..
ना सादगी.. ना आवारगी..
मैं चल पड़ा हूं कहीं.. एकांत की तलाश में…!!
ना शिकायतें..ना रिवायतें..
ना दोस्ती.. ना दुश्मनी..
ना बेचैनी..ना बेबसी..
कोई कशक रही अब नहीं,
इस सुनेपन से निकल कर..खुद के साथ जीना चाहता हूं..
मैं चल पड़ा हूं कहीं.. एकांत की तलाश में…!!
ना दुःख रहा..ना है खुशी..
ना आस्था किसी पर रही,
ना ज़ख्म रहा.. ना पीड़ा कोई..
ना है मलाल किसी बात का,
ना मेरा कोई अब रहा..
ना मुझ-सा कोई बचा कहीं ,
ना मुझ पर कोई साजिशें..
ना मुझ पर कोई बंदिशें..
मैं खुद ही बचा खुद के लिए..
मैं अकेला ही काफी हूं..
मैं चल पड़ा हूं कहीं.. एकांत की तलाश में…!!
❤️ Love Ravi ❤️