मैं खुद से ही खफा हूं ..
जाने जिस बात से मैं खुद से खफा हूं ,
यूं लगे मैं अपनी जिंदगी से खफा हूं ।
कभी कोई कश्मकश दीवाना बनाए मुझे
ज़हन में उठने वाले सवालों से खफा हूं।
या कोई अरमान सताए या जुस्तजू कोई ,
मैं अपने टूटे हुए सपनों से भी खफा हूं ।
जिंदगी के सफर पर चलते हुए अचानक ,
रूबरू हो जाने वाली तकदीर से खफा हूं ।
जो बातें या चीजें हमे नागवार गुजरा करे ,
फिर भी बर्दाश्त करे खामोशी से खफा हूं ।
जमाना दीवाना समझता है तो समझा करे ,
मैं तो उनकी बेदिली से भी बहुत खफा हूं ।
जिंदगी को सजा के रूप में हमें सौंप कर ,
खुद जो हो गई सुरखुरू इस कज़ा से खफा हूं ।