Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2023 · 1 min read

मैं क्यों अब जाऊँ मधुशाला

अनुपम शिल्प कला कौशल से,
प्रस्तर तल पर निर्मित आकृति,
मानो बोल पड़ेगी पल में,
प्राकृतिक ऐसी बाला सुकृति।

रूपराशि यौवन अतुल्य,
उस शिल्पकार की कलाकृति,
चैतन्य विना भी मृदु सजीव,
होती प्रतीत सुरबाला सी।

पाषाण कृति के नयन युगल,
मदभरे चारु वाचाल तनिक,
प्रत्यंचावत तिर्यक भृकुटि,
मनमोहक छवि मृगनैनीवत।

नयन युगल अदभुत कृति के,
प्रतिपल छलकाते शुचि मदिरा,
हाला के मधुरस पान हेतु,
मैं क्यों अब जाऊँ मधुशाला।

–मौलिक एवम स्वरचित–

अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ
लखनऊ (उ.प्र.)
(अरुण)

Language: Hindi
242 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो मेरी कविता
वो मेरी कविता
Dr.Priya Soni Khare
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
Vijay kumar Pandey
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
खोल के कान और की सुन ले,
खोल के कान और की सुन ले,
*प्रणय प्रभात*
"सफर"
Yogendra Chaturwedi
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
अपने-अपने दम्भ की,
अपने-अपने दम्भ की,
sushil sarna
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
Neeraj Agarwal
*दर्शन शुल्क*
*दर्शन शुल्क*
Dhirendra Singh
🌺🌺इन फाँसलों को अन्जाम दो🌺🌺
🌺🌺इन फाँसलों को अन्जाम दो🌺🌺
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
निकेश कुमार ठाकुर
वो नए सफर, वो अनजान मुलाकात- इंटरनेट लव
वो नए सफर, वो अनजान मुलाकात- इंटरनेट लव
अमित
सुकून
सुकून
Harminder Kaur
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
निरुद्देश्य जीवन भी कोई जीवन होता है ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
चमकता तो मैं भी चाँद की तरह,
चमकता तो मैं भी चाँद की तरह,
Bindesh kumar jha
चंद शेर
चंद शेर
Shashi Mahajan
संदेश
संदेश
Shyam Sundar Subramanian
है कहीं धूप तो  फिर  कही  छांव  है
है कहीं धूप तो फिर कही छांव है
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
𑒧𑒻𑒟𑒱𑒪𑒲 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒮𑒧𑓂𑒣𑒴𑒩𑓂𑒝 𑒠𑒹𑒯𑒏 𑒩𑒏𑓂𑒞 𑒧𑒹 𑒣𑓂𑒩𑒫𑒰𑒯𑒱𑒞 𑒦 𑒩𑒯𑒪 𑒁𑒕𑒱 ! 𑒖𑒞𑒻𑒏
𑒧𑒻𑒟𑒱𑒪𑒲 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒮𑒧𑓂𑒣𑒴𑒩𑓂𑒝 𑒠𑒹𑒯𑒏 𑒩𑒏𑓂𑒞 𑒧𑒹 𑒣𑓂𑒩𑒫𑒰𑒯𑒱𑒞 𑒦 𑒩𑒯𑒪 𑒁𑒕𑒱 ! 𑒖𑒞𑒻𑒏
DrLakshman Jha Parimal
फकीर
फकीर
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
,,
,,
Sonit Parjapati
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
पूर्वार्थ
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
"" *महात्मा गाँधी* ""
सुनीलानंद महंत
राम मंदिर
राम मंदिर
Sanjay ' शून्य'
3679.💐 *पूर्णिका* 💐
3679.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गुलाबी शहतूत से होंठ
गुलाबी शहतूत से होंठ
हिमांशु Kulshrestha
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
Loading...