Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2020 · 1 min read

मैं कुछ ऐसे

मैं कुछ ऐसे
अपनी जिंदगी के पल पल
का हिसाब कर देती हूँ
दुनिया से मिली पीड़ा को
मैं अपनी लेखनी से लिख लेती हूँ।
मैं कुछ ऐसे
अपने मन की सारी थकान को
अपने सारे दिन के संघर्ष को
माँ की दी सारी हिम्मत को
मैं अपनी लेखनी से लिख लेती हूँ।
मैं कुछ ऐसे
माँ के अंतर्मन की पीड़ा को
माँ चेहरे पर दुखो की लकीरो को
उसकी सारी मनःस्तिथि को
मैं अपनी लेखनी से लिख लेती हूँ
मैं कुछ ऐसे
अपनी तरक्की को सोच कर
अपने पाँव जमीन पर ही रखती हूँ
मैं पतंग सी ऊंची उड़ान तो उड़ती हूं
लेखनी से खुद को जमी से जोड़ती हूँ।
मैं कुछ ऐसे
इन्ही हाथो से रोटी भी गोल बनाती हूँ
अपनो का पल पल ध्यान भी रखती हूँ
इन्ही हाथो से लेखनी की धार रखती हूँ
खुद जीवन पर धारदार कलम रखती हूँ
मैं कुछ ऐसे
अपने जीवन की गाथा लिख देती हूँ
हर घटना पर कलम को धार देती हूँ
लोगो की तिरछी नजर भी सह लेती हूँ
पर लेखनी से समझौता नही करती हूँ
मैं कुछ ऐसे
कोशिश करती हूँ मंजिलें मिले मुझे भी
पर रास्ता सीधा सा ही पकड़ती हूँ
कोई छल करे सहती नहीं हूँ
न ही अपनी लेखनी से छल करती हूँ
मैं कुछ ऐसे
अपनो के लिए अहसास भी रखती हूँ
जज्बात से न कोई खेले ध्यान रखती हूँ
दुखो की आंच भी झेल जाती हूं
पर लेखनी की धार तेज ही रखती हूँ
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद

Language: Hindi
4 Likes · 413 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

घर पर घर
घर पर घर
Surinder blackpen
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
बिना दूरी तय किये हुए कही दूर आप नहीं पहुंच सकते
Adha Deshwal
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
gurudeenverma198
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
इक शाम दे दो. . . .
इक शाम दे दो. . . .
sushil sarna
श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
नेताम आर सी
स्वंय की खोज
स्वंय की खोज
Shalini Mishra Tiwari
तू कहती रह, मैं सुनता रहूँगा।।
तू कहती रह, मैं सुनता रहूँगा।।
Rituraj shivem verma
"आजादी की चाह"
Pushpraj Anant
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
आदमी
आदमी
Phool gufran
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
एक चींटी
एक चींटी
Minal Aggarwal
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
*बदल सकती है दुनिया*
*बदल सकती है दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तेजस्वी जुल्फें
तेजस्वी जुल्फें
Akash Agam
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
किया आप Tea लवर हो?
किया आप Tea लवर हो?
Urmil Suman(श्री)
'सत्य मौन भी होता है '
'सत्य मौन भी होता है '
Ritu Asooja
रामभक्त शिव (108 दोहा छन्द)
रामभक्त शिव (108 दोहा छन्द)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
Chaahat
राह भी हैं खुली जाना चाहो अगर।
राह भी हैं खुली जाना चाहो अगर।
Abhishek Soni
..
..
*प्रणय*
प्यारे घन घन घन कर आओ
प्यारे घन घन घन कर आओ
Vindhya Prakash Mishra
सबकी यादों में रहूं
सबकी यादों में रहूं
Seema gupta,Alwar
*जीवन-नौका चल रही, सदा-सदा अविराम(कुंडलिया)*
*जीवन-नौका चल रही, सदा-सदा अविराम(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
।।जन्मदिन की बधाइयाँ ।।
।।जन्मदिन की बधाइयाँ ।।
Shashi kala vyas
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
Bidyadhar Mantry
देखो भय्या मान भी जाओ ,मेरा घरौंदा यूँ न गिराओ
देखो भय्या मान भी जाओ ,मेरा घरौंदा यूँ न गिराओ
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...