मैं किसान हूँ
बेबस नही बस धैर्यवान हूँ,
इसीलिए बचा रह अपना ईमान हूँ
ना लेता कभी हिंसा का नाम हूँ
खेतों में भी बचाता कीटों की जान हूँ
मत लो इम्तिहान मेरे सब्र का
सीमा पर मैं ही भेजता जवान हूँ
दर्द में हूँ फिर भी गर्व से कहता हूँ
हाँ, हाँ.. मैं ही किसान हूँ
मैं ही किसान हूँ