Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2017 · 1 min read

मैं कहाँ थी

मैं जब वहां थी
तब भी, मैं
नहीं वहां थी
अपनों की
दुनिया के मेले में ,
खो गयी मैं
न जाने कहा थी

बड़ों की खूबियों
का अनुकरण
कर रहा था
मेरे व्यक्तित्व
का हरण
मेरा निज
परत दर परत
दफ़न हो रहा था
और मैं अपने
दबते अस्तित्व से
परेशान थी

कच्ची उम्र में
ज़रूरत होती है
सहारे की
अपने पैरों
खड़े होने के बाद,
सहारे सहारे चलना
नादानी है बेल की
सोनजुही सी
पनपने की
सामर्थय मेरी
औरों के
सहारे सहारे चलना
क्यों मान लिया था
नियति मेरी

मौन व्यथा और
आंसुओं से
सहिष्णु धरती का
सीना सींच
बरसों बाद
अंकुरित हुई हूँ अब
संजोये मन में
पनपने की चाह
बोनसाई सा नही
चाहती हूँ ज़िंदगी में
सागर सा विस्तार

नही जीना चाहती
पतंग की जिंदगी
लिए आकाश का विस्तार
जुड़ कर सच के धरातल से
अपनी ज़िंदगी का ख़ुद
बनना चाहती हूँ आधार

रजनी छाबड़ा

Language: Hindi
236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परी
परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
👌👌👌
👌👌👌
*Author प्रणय प्रभात*
कुप्रथाएं.......एक सच
कुप्रथाएं.......एक सच
Neeraj Agarwal
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
कवि रमेशराज
दोहे... चापलूस
दोहे... चापलूस
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
संघर्ष के बिना
संघर्ष के बिना
gurudeenverma198
रिश्तों की मर्यादा
रिश्तों की मर्यादा
Rajni kapoor
पुराने पन्नों पे, क़लम से
पुराने पन्नों पे, क़लम से
The_dk_poetry
किताब
किताब
Lalit Singh thakur
ज़िंदगी मायने बदल देगी
ज़िंदगी मायने बदल देगी
Dr fauzia Naseem shad
Bahut fark h,
Bahut fark h,
Sakshi Tripathi
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
जनता हर पल बेचैन
जनता हर पल बेचैन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
💐प्रेम कौतुक-197💐
💐प्रेम कौतुक-197💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
खुद से ज्यादा अहमियत
खुद से ज्यादा अहमियत
Dr Manju Saini
छान रहा ब्रह्मांड की,
छान रहा ब्रह्मांड की,
sushil sarna
दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,
दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,
गुप्तरत्न
बचपन की यादें
बचपन की यादें
प्रीतम श्रावस्तवी
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
कल्पना एवं कल्पनाशीलता
Shyam Sundar Subramanian
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
बेरोजगार
बेरोजगार
Harminder Kaur
भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
VINOD CHAUHAN
"सपने"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*लक्ष्मण (कुंडलिया)*
*लक्ष्मण (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग्य)
गनर यज्ञ (हास्य-व्यंग्य)
दुष्यन्त 'बाबा'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
" समय बना हरकारा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...