मैं कहता आंखन देखी
जब जीवन-मरण का प्रश्न खड़ा हो!
जब सत्य-असत्य का युद्ध छिड़ा हो!!
तटस्थ नहीं रह सकते हम कदापि
जब न्याय-अन्याय पर आन पड़ा हो!!
हम कबीर के वंशज होते हुए भी
ऐसे चुपचाप आख़िर कब तक रहेंगे!
हमें आंखों देखी कहनी ही पड़ेगी
अब ख़तरा चाहे जितना भी बड़ा हो!!
Shekhar Chandra Mitra
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