मैं एक बदनसीब सिगरेट हूँ –आर के रस्तोगी
खुद को जलाकर,दूसरो की जिन्दगी जलाती हूँ मैं
बुझ जाती है माचिस,जलकर राख हो जाती हूँ मैं
पीकर फैक देते है रास्ते में,इस कदर सब मुझको
चलते फिरते हर मुसाफिर की ठोकरे खाती हूँ मैं
करते है वातावरण को दूषित पीकर जो मुझे
लेते है लुत्फ़ जिन्दगी का बदनाम होती हूँ मैं
लिखी है वैधानिक चेतावनी,फिर भी पीते है मुझे
उनको कोई कुछ नहीं कहता,गालिया खाती हूँ मैं
किसने बनाया है मुझे,किसने जहर भरा है मुझमे
मैं एक बदनसीब सिगरेट हूँ,बदनसीबी पाती हूँ मैं
तम्बाकू है मेरा बड़ा भाई,कागज है मेरा छोटा भाई
मैं उनकी सगी बहन हूँ,एक अजीब रिश्ता पाती हूँ मैं
समझाता है रस्तोगी,ये सेहत के लिये नहीं है मुफीद
पीते पिलाते है मुझको,कैंसर की बीमारी लाती हूँ मैं
आर के रस्तोगी