मैं एक पल हूँ
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मैं एक पल हूं
आता हूं
और पल में चला जाता हूं।
मुझे ढूंढेगा कहा
मैं सारे जहां मैं समाता हूं।
आज पास हूं
कल दूर में जाता हूं।
आज खोया हूं
कल फिर मैं लौट आता हूं।
यही जिंदगी है
तो मैं इस जिंदगी में कहां समाता हूं।
आज हूं मैं
न जाने कल मैं कहां जाता हूं।
ढूंढ ना पायेगा कोई मुझे
खुद को भी, मैं कहा पाता हूं।
समय नहीं है ये
गुजरता और लौट आता।
ये ही जिंदगी है
आज है
कल नहीं कोई इसे पाता।
सांस चले ना चले
पर उसके बिना जिंदगी कौन चलाता।
खुदा नहीं कोई कहीं
फिर और कुछ समझ में भी तो नहीं आता।
मैं हूं कहां कोई सार समझ में नहीं आता।
माना कि खुदा है हर जगह
पर वो कहीं नजर भी तो नहीं आता।
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Swami Ganganiya