Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2021 · 1 min read

मैं एक नदी सी

हाँ मैं एक नदी सी हूँ,जो बहती जा रही है निरंतर।
बिना थके,बिना रुके,
साथ अपने लिए कई ख्वाब,कई सवाल,कई भाव
हर घाट पर, हर पाट पर,
ढूंढ़ती हूँ इन सवालों के जबाब,
सोचती हूँ कहीं तो आकर रुकूँगी,
कहीं तो किनारा होगा।
जहाँ ठहर सकूँ इन भावों को लिए,
एक भाव जो ममता का पर्याय है,
समाया हुआ है जो रक्त की हर बूँद में।
जो कभी थकता नहीं है,रुकता नही है,
बस हिलोरे मारता रहता है लहरों की तरह।
जो भिगोना चाहता है मेरे मन के उस किनारे को,
जहाँ पर वो ठहर सके।
लूटा सके अपनी ममता,अपना स्नेह उस किनारे पर।
पर ऐसा होना कहाँ संभव है
क्योंकि नदी न कभी रुकी है,न कभी थकी है
पर हाँ अपने प्रेम और ममता रूपी जल से,
करती आई है पावन सभी को
मेरी दशा भी कुछ ऐसी ही है,
जो ढूंढ़ रही है वो किनारा जो,
जो मेरे आँचल में समा जाये,
और शांत कर दे,उन हिलोरों को,
पीकर जल मेरा।
और रोक दे मेरे बहाव को।
हाँ,क्यूंकि बनना चाहती हूँ मैं माँ

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 523 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Dr. Man Mohan Krishna
* किसे बताएं *
* किसे बताएं *
surenderpal vaidya
ड़ माने कुछ नहीं
ड़ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
जनता के वोट रूपी साबुन से, केजरीवाल नहायेंगे
जनता के वोट रूपी साबुन से, केजरीवाल नहायेंगे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
Rj Anand Prajapati
विषय
विषय
Rituraj shivem verma
भाग्य और पुरुषार्थ
भाग्य और पुरुषार्थ
Dr. Kishan tandon kranti
Destiny
Destiny
Chaahat
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
कवि दीपक बवेजा
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
Neelam Sharma
कभी कभी प्रतीक्षा
कभी कभी प्रतीक्षा
पूर्वार्थ
गुजरा वक्त।
गुजरा वक्त।
Taj Mohammad
सच तो कुछ नहीं है
सच तो कुछ नहीं है
Neeraj Agarwal
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
बदरा को अब दोष ना देना, बड़ी देर से बारिश छाई है।
Manisha Manjari
🙅आम सूचना🙅
🙅आम सूचना🙅
*प्रणय प्रभात*
नेता जी शोध लेख
नेता जी शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2979.*पूर्णिका*
2979.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पुस्तक समीक्षा -रंगों की खुशबू डॉ.बनवारी लाल अग्रवाल
पुस्तक समीक्षा -रंगों की खुशबू डॉ.बनवारी लाल अग्रवाल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*भालू (बाल कविता)*
*भालू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मूल्य मंत्र
मूल्य मंत्र
ओंकार मिश्र
हरकत में आयी धरा...
हरकत में आयी धरा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
दर्द ....
दर्द ....
sushil sarna
विचारों में मतभेद
विचारों में मतभेद
Dr fauzia Naseem shad
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
"घर की नीम बहुत याद आती है"
Ekta chitrangini
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जिंदगी तो पहले से बिखरी हुई थी
जिंदगी तो पहले से बिखरी हुई थी
Befikr Lafz
कुदरत ने क्या ख़ूब करिश्मा दिखाया है,
कुदरत ने क्या ख़ूब करिश्मा दिखाया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Mental health
Mental health
Bidyadhar Mantry
बुजुर्ग कहीं नहीं जाते ...( पितृ पक्ष अमावस्या विशेष )
बुजुर्ग कहीं नहीं जाते ...( पितृ पक्ष अमावस्या विशेष )
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...